बांग्लादेश के जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर गुरुवार को चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई होगी। उनके वकील रवींद्र घोष अस्पताल में भर्ती हैं, जिससे उनकी उपस्थिति कम ही संभव है।
Bangladesh News: पूर्व इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर गुरुवार को चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायालय में सुनवाई होगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट के 11 वकील शामिल होंगे। इन वकीलों की टीम बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में राजद्रोह के मामले में उनका बचाव करेगी।
वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य के नेतृत्व में कानूनी टीम
वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने बताया कि वे ऐनजीबी ओइक्ता परिषद के बैनर तले चटगांव में आए हैं और चिन्मय कृष्ण दास की जमानत के लिए अदालत में पैरवी करेंगे। उन्होंने कहा, "मुझे चिन्मय से वकालतनामा पहले ही मिल चुका है। मैं सुप्रीम कोर्ट और चटगाँव बार एसोसिएशन दोनों का सदस्य हूं, इसलिए मुझे स्थानीय वकील की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।"
जमानत पर सुनवाई के लिए तारीख तय
चटगांव अदालत ने 3 दिसंबर 2024 को जमानत पर सुनवाई के लिए 2 जनवरी की तारीख तय की थी। अभियोजन पक्ष ने समय याचिका प्रस्तुत की थी और चिन्मय का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई वकील नहीं था। इस वजह से सुनवाई में देरी हुई थी।
राजद्रोह के आरोप
चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप 25 अक्टूबर को लगाए गए थे, जब उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप था। इसके बाद 25 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी हुई, जिसके बाद चटगांव में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे। 27 नवंबर को चटगाँव न्यायालय भवन के बाहर हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें एक वकील की मौत हो गई। इसके बाद स्थिति और भी बिगड़ गई और इस्कॉन के दो साधुओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता
बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर चिंता जताई थी। मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे को उठाया था। दिसंबर 2024 में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने चिन्मय कृष्ण दास के बारे में एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए 8 सूत्री मांग रखी गई थी। इन मांगों में अल्पसंख्यक संरक्षण कानून, सुरक्षा मंत्रालय, विशेष न्यायाधिकरण, और मंदिरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए जाने की बात की गई थी।