बस अब कुछ ही दिन बाकी हैं, और फिर विवाह के लड्डुओं का स्वाद हर घर में घुलने लगेगा। 13 अप्रैल से नवसंवत्सर के द्वितीय वैशाख माह की शुरुआत हो रही है, और इसके साथ ही 14 अप्रैल को खरमास का समापन होगा। खरमास के खत्म होते ही शुभ विवाह मुहूर्तों की शुरुआत हो जाएगी। वैशाख मास में कुल 15 शुभ विवाह तिथियां मिलेंगी, जहां बैंड बजेंगे, बरातें सजेंगी और शहनाइयों की गूंज हर दिशा में सुनाई देगी। इसके बाद ज्येष्ठ माह में 12 शुभ लग्न मिलेंगे, जो 8 जून तक चलेंगे।
इसके पश्चात गुरु अस्त होने से विवाह जैसे मांगलिक कार्यों पर कुछ समय के लिए विराम लग जाएगा। फिर लगभग साढ़े पांच महीने के अंतराल के बाद मार्गशीर्ष मास में 22 नवंबर से पुनः शुभ लग्न आरंभ होंगे, जो 5 दिसंबर तक चलेंगे। इस वर्ष के अंत में पांच दिसंबर के बाद फिर विवाह का सिलसिला अगले वर्ष जनवरी से ही शुरू होगा।
खरमास की समाप्ति से शुरू होंगे विवाह मुहूर्त
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार, 14 अप्रैल को प्रात: 5:29 बजे खरमास समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही इस वर्ष का पहला वैवाहिक मुहूर्त भी इसी दिन पड़ेगा। हालांकि 15 अप्रैल को मृत्युबाण और व्यतिपात योग के चलते विवाह नहीं होंगे, लेकिन 16 अप्रैल से फिर से वैवाहिक तिथियों की शुरुआत हो जाएगी।
वैशाख और ज्येष्ठ में जमकर बजेगा बैंड-बाजा
• अप्रैल से जून के बीच, यानी वैशाख और ज्येष्ठ माह में विवाह के लिए कुल 27 शुभ दिन होंगे।
• वैशाख माह (14 अप्रैल – 10 मई): कुल 15 शुभ तिथियाँ
• ज्येष्ठ माह (14 मई – 10 जून): कुल 12 शुभ तिथियाँ
• कुल मिलाकर 58 दिनों की इस अवधि में विवाह योग्य शुभ तिथियाँ केवल 27 दिन ही होंगी, जिससे पंडितों, बैंड-बाजों और वेडिंग वेन्यू की डिमांड पीक पर रहने की संभावना है।
8 जून के बाद फिर से रुकेंगे विवाह
8 जून को गुरु के अस्त होने के साथ ही शुभ कार्य एक बार फिर रोक दिए जाएंगे। इसके बाद विवाह मुहूर्त 22 नवंबर से दोबारा शुरू होंगे, लेकिन ये भी ज्यादा दिन नहीं चल पाएंगे क्योंकि 5 दिसंबर को शुक्र के अस्त होते ही फिर से विवाह पर विराम लग जाएगा। आमतौर पर देवशयनी एकादशी (इस बार 6 जुलाई को) से मांगलिक कार्य बंद होते हैं, लेकिन 2025 में विवाह मुहूर्त उससे 28 दिन पहले ही खत्म हो जाएंगे क्योंकि गुरु अस्त हो जाएंगे।
दूसरी ओर, देवोत्थान एकादशी एक नवंबर को है, लेकिन इस बार उस समय शुक्र और सूर्य की स्थिति विवाह के अनुकूल नहीं होगी, इसलिए नवंबर के अधिकांश दिनों में भी कोई विवाह नहीं होंगे।
अप्रैल से जून तक विवाह की प्रमुख तिथियां
• अप्रैल: 4, 16, 18, 19, 20, 21, 26, 29, 30
• मई: 1, 5, 6, 8, 9, 10 (वैशाख लग्न समाप्त), ज्येष्ठ में- 14, 15, 17, 18, 22, 23, 28 मई
• जून: 01, 02, 05, 07, 08 जून। गुरु अस्त।