चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश के चटगांव के निवासी हैं, पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप लगाते हुए 30 अक्टूबर 2024 को उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। यह मामला ध्वज के प्रति अपमानजनक व्यवहार से जुड़ा हुआ है, जिसे बांग्लादेश के कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता हैं।
ढाका: आज, 3 दिसंबर 2024, बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस्कॉन के पुजारी और हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर अदालत सुनवाई करेगी। चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का आरोप उस समय लगाया गया जब उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों और अत्याचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
उनका यह प्रदर्शन बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रति बढ़ती चिंताओं का प्रतीक था। उन्हें पिछले हफ्ते पुलिस ने गिरफ्तार किया था, और यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है। आज की सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि चिन्मय कृष्ण दास को जमानत दी जाएगी या उन्हें पुलिस हिरासत में ही रखा जाएगा।
चिन्मय दास की जमानत याचिका पर आज होगी सुनवाई
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के सदस्य चिन्मय कृष्ण दास का मामला बांग्लादेश में धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता का बड़ा मुद्दा बन चुका है। उन पर आरोप है कि 30 अक्टूबर 2024 को चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया।
इसी मामले में चटगांव के कोतवाली पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। 25 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया, जिसने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया। इसके बाद से उनके समर्थक लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
आज, 3 दिसंबर 2024, मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करेंगे। इस बीच, बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज करने का आदेश दिया है, जिससे मामला और अधिक गंभीर हो गया हैं।
सुनवाई से पहले चिन्मय दास के वकील की हालत गंभीर
इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने सोमवार को एक गंभीर दावा किया कि बांग्लादेश में आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास का बचाव करने वाले वकील रमन रॉय पर बर्बर हमला किया गया है। इस हमले के बाद रॉय की हालत बेहद गंभीर है और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है। दास के अनुसार, कट्टरपंथी तत्वों ने रॉय के घर में घुसकर तोड़फोड़ की और उन पर जानलेवा हमला किया।
राधारमण दास ने कहा कि रमन रॉय का "एकमात्र कसूर" यह था कि उन्होंने अदालत में चिन्मय कृष्ण दास का बचाव किया। यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए न्याय की प्रक्रिया पर एक गहरा सवाल खड़ा करती है। वकीलों पर ऐसे हमले न केवल न्याय प्रणाली को बाधित करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता से जुड़े मामलों में असहमति की कितनी खतरनाक कीमत चुकानी पड़ सकती हैं।