PM Modi Visit America: भारत की "Made In India" योजना से जुड़ने को बेताब हैं अमेरिका की दिग्गज कंपनियां, चीन को लगेगा जोरदार झटका, जानें...

PM Modi Visit America: भारत की
Last Updated: 2 घंटा पहले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के सीईओ से मुलाकात के बाद भारत में निवेश की उम्मीदें तेजी से बढ़ी हैं। यह संकेत भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और निवेश के अनुकूल वातावरण को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी कंपनियों का भारत में रुचि लेना चीन के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि चीन में निवेश के माहौल में अनिश्चितता और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैं।

न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यूयॉर्क में अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक ने वैश्विक निवेश परिदृश्य में एक नया मोड़ ला दिया है। "मेड इन इंडिया" के तहत भारत में निर्माण और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए अमेरिकी कंपनियां अब तेजी से भारत की ओर आकर्षित हो रही हैं। चीन में बढ़ती चुनौतियों और अनिश्चितताओं के चलते, कई कंपनियां अब भारत में अपने कारोबार को स्थापित करने की सोच रही हैं। यह कदम न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि चीन के लिए भी बड़ा झटका साबित होगा, क्योंकि यह उसकी आर्थिक वृद्धि और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर डालेगा।

भारत में बढ़ती उपभोक्ता मांग, युवा जनसंख्या और स्थिर नीतिगत वातावरण ने अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। इससे भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में स्थापित होने का मौका मिल रहा है, जो भविष्य में और अधिक आर्थिक अवसर पैदा करेगा।

मोदी की अमेरिका यात्रा से चीन को लगा तगड़ा झटका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दूसरे दिन, उन्होंने न्यूयॉर्क के 'लोट्टे न्यूयॉर्क पैलेस होटल' में अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के सीईओ के साथ एक महत्वपूर्ण गोलमेज सम्मेलन किया। इस बैठक में एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, और सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई। मोदी ने अमेरिकी कंपनियों के साथ भारत के बाजार की संभावनाओं को उजागर करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी में सहयोग और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

जब मोदी ने इस बैठक की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स पर साझा की, तो इससे चीन में चिंता बढ़ गई। यह दिखाता है कि अमेरिका की दिग्गज कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए कितनी इच्छुक हैं, जो चीन के लिए एक अप्रत्याशित चुनौती बन सकता है। मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रगति के प्रति अमेरिकी कंपनियों का सकारात्मक दृष्टिकोण और विश्वास इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में उभर रहा हैं।

गोलमेज सम्मेलन में मौजूद दिग्गज नेता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आयोजित गोलमेज सम्मेलन में अमेरिकी प्रौद्योगिकी जगत के शीर्ष सीईओ शामिल हुए, जिनमें गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, अडोब के सीईओ शांतनु नारायण, और एनवीआईडीआईए के सीईओ जेन्सेन हुआंग जैसे प्रमुख नाम शामिल थे। इस सम्मेलन का आयोजन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा किया गया था।

मोदी ने बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने में भारत की गहरी प्रतिबद्धता के बारे में चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विनिर्माण तथा सेमीकंडक्टर क्षेत्र में हो रहे आर्थिक परिवर्तनों पर प्रकाश डाला। इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत तकनीकी क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, और यह अमेरिकी कंपनियों के लिए एक आकर्षक बाजार बनता जा रहा हैं।

भारत को ‘सेमीकंडक्टर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध - PM Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भारत को "सेमीकंडक्टर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र" बनाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने "बायो ई3" नीति के तहत भारत को एक "बायोटेक पावरहाउस" के रूप में विकसित करने की योजना पर भी चर्चा की। एआई के संदर्भ में, मोदी ने कहा कि भारत की नीति सभी के लिए एआई को बढ़ावा देने और इसके नैतिक एवं जिम्मेदार उपयोग पर केंद्रित हैं।

सम्मेलन में भाग लेने वाले सीईओ ने भारत के बढ़ते वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में प्रतिष्ठा की सराहना की, जो इसके नवोन्मेषी नीतियों और समृद्ध बाजार के अवसरों से प्रेरित है। उन्होंने भारत में निवेश और सहयोग के लिए गहरी रुचि व्यक्त की। इस बैठक में बायोजेन इंक, ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब, एली लिली एंड कंपनी, एलएएम रिसर्च, ग्लोबलफाउंड्रीज और किंड्रिल जैसी प्रमुख कंपनियों के सीईओ भी शामिल थे। इस तरह के उच्चस्तरीय संवाद ने भारत के तकनीकी क्षेत्र में नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त किया हैं।

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