विनेश फोगाट को कांग्रेस द्वारा जींद की जुलाना विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाने का निर्णय महत्वपूर्ण है, क्योंकि विनेश फोगाट एक मशहूर कुश्ती पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता हैं। जुलाना उनकी ससुराल भी है, जो इस सीट पर उनकी उम्मीदवारी को और भी खास बनाता हैं।
चंडीगढ़: विनेश फोगाट का राजनीतिक करियर शुरू होने से पहले ही मुश्किलों में आ सकता है, क्योंकि रेलवे ने उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया, दोनों ही भारतीय रेलवे में नौकरी करते हैं और नियमों के तहत सरकारी नौकरी करने वाले किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से पहले अपने पद से इस्तीफा देना आवश्यक होता है। रेलवे द्वारा दोनों पहलवानों को कारण बताओ नोटिस जारी करना इस मुद्दे को और जटिल बना देता है। अगर रेलवे उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं करता है या उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देता, तो विनेश फोगाट की राजनीतिक यात्रा प्रभावित हो सकती है। यह देखना होगा कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और क्या कानूनी या प्रशासनिक प्रक्रियाएं उनके पक्ष में जाती हैं।
विनेश फोगाट एनओसी के बिना नहीं लड़ सकती चुनाव
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, सरकारी कर्मचारी के रूप में कार्यरत रहते हुए कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है। विनेश फोगाट के मामले में, चूंकि उनका इस्तीफा अभी तक रेलवे द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है और उन्हें आवश्यक रूप से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं मिली है, वे फिलहाल चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकतीं। उत्तर रेलवे द्वारा उन्हें और बजरंग पूनिया को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस सेवा नियमावली के तहत सही है, क्योंकि रेलवे के रिकॉर्ड में वे अभी भी कर्मचारी हैं।
यदि विनेश फोगाट समय पर इस्तीफा स्वीकार करवा लेती हैं और एनओसी प्राप्त करती हैं, तो उन्हें चुनाव लड़ने का कानूनी अधिकार मिल जाएगा। अन्यथा, यह उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत में एक बड़ा अवरोध बन सकता है। इस स्थिति का समाधान आने वाले दिनों में उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगा।
विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया की सियासी पारी में लगा ब्रेक
विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के राजनीतिक करियर की शुरुआत में रेलवे के नियमों के कारण यह मामला जटिल हो गया है। रेलवे द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करना इस बात का संकेत है कि उनके इस्तीफे के औपचारिक प्रावधानों को अभी पूरा नहीं किया गया है। रेलवे के नियमों के अनुसार, सरकारी कर्मचारी को इस्तीफा देने के बाद तीन महीने के नोटिस पीरियड को पूरा करना अनिवार्य होता है, जब तक कि इस नियम में ढील न दी जाए।
इसके अलावा, सरकारी कर्मचारी रहते हुए किसी व्यक्ति को किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने की अनुमति नहीं है, जो उनके राजनीतिक करियर के रास्ते में एक और कानूनी बाधा है। यदि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया समय पर रेलवे से इस्तीफा स्वीकार करवाने और एनओसी प्राप्त करने में सफल नहीं होते, तो उन्हें चुनाव लड़ने और किसी राजनीतिक दल से जुड़ने में कठिनाई हो सकती हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में रेलवे का अंतिम निर्णय महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि रेलवे या तो नियमों में ढील देकर उन्हें कार्यमुक्त कर सकता है, या फिर तीन महीने की नोटिस अवधि पूरी करने की शर्त पर उन्हें रोक सकता हैं।
विनेश ने बृजभूषण पर बोला हमला
विनेश फोगाट ने कांग्रेस की ओर से जुलाना विधानसभा सीट से चुनावी प्रचार शुरू कर दिया है और उन्हें भरोसा है कि वे चुनौतियों का सामना कर जीत हासिल करेंगी। जुलाना, जो इनेलो और जेजेपी का गढ़ माना जाता है, वहां विनेश ने दावा किया है कि इस बार लोग बदलाव के लिए वोट देंगे और उन्हें समर्थन देंगे।अपने रोड शो के दौरान विनेश ने कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर भी तीखा हमला किया, जिनके खिलाफ वे पहले भी विरोध प्रदर्शन कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि बृजभूषण का अब कोई अस्तित्व नहीं है, जो उनके राजनीतिक और व्यक्तिगत विरोध को दर्शाता है। विनेश के यह बयान उनके मजबूत इरादों और आत्मविश्वास को दर्शाते हैं, क्योंकि वे कुश्ती के मैदान से अब राजनीति के अखाड़े में कदम रख रही हैं।