Anshuman Gaekwad: उंगली से खून निकलने के बाद भी योद्धा की तरह लड़े अंशुमन, क्रिकेट जगत के इस जज्बे को हमेशा याद रखेगी दुनिया, अंशुमन को सलाम

Anshuman Gaekwad: उंगली से खून निकलने के बाद भी योद्धा की तरह लड़े अंशुमन, क्रिकेट जगत के इस जज्बे को हमेशा याद रखेगी दुनिया, अंशुमन को सलाम
Last Updated: 01 अगस्त 2024

Anshuman Gaekwad: उंगली से खून निकलने के बाद भी योद्धा की तरह लड़े अंशुमन, क्रिकेट जगत के इस जज्बे को हमेशा याद रखेगी दुनिया, अंशुमन को सलाम 

साल 1976 भारतीय क्रिकेट टीम के योद्धा रहे अंशुमन गायकवाड़ ने दुनिया को आज आखरी सलाम कह दिया हैं। बता दें ब्लड कैंसर से गायकवाड़ का अस्पताल  में इलाज के दौरान निधन हो गया। अंशुमन के साहस और जोश की कहानियां दुनिया हमेशा याद रखेगी। अंशुमन भारतीय टीम का वो सितारा था, जिसने हार मानकर मुश्किलों का डटकर सामना किया।

स्पोर्ट्स न्यूज़: एक कहावत है कि 'अगर दिल से किसी चीज को पाने की चाहत हो, तो आपको एक दिन वह अवश्य मिलती है' जिंदगी में कामयाबी हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। संघर्ष के कारण वक्त बदलने में भी ज्यादा समय नहीं लगता और कामयाबी खुद एक दिन आपको ढूंढते हुए आपके पास जाएगी। क्रिकेट के मैदान पर भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलता हैं, जहां मेहनत और जोश के दम पर क्रिकेटर्स अपनी अलग पहचान बनाते हैं। भारतीय टीम में अब तक कई ऐसे दिग्गज रहे, जिन्होंने खुद से पहले टीम को प्राथमिकता दी, इन खिलाडियों में अंशुमन गायकवाड़ भी शामिल हैं, जिनके साहस और जज्बे की कहानियां आज भी सभी खिलाडियों को प्रेरित करती हैं।

अंशुमान का साहस हमेशा अमर रहेगा

अंशुमन खुद तो इस दुनिया छोड़कर भगवान के पास चले गए, लेकिन उनके किस्से और कामयाबी हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए हैं। अंशुमन की बहादुरी का एक किस्सा बताते हैं - एक टेस्ट सीरीज के मैच के दौरान उन्होंने अपने आंखों के सामने अपने साथी खिलाड़ी को बुरी तरह घायल होते हुए देखा, लेकिन फिर भी उन्होंने उस समय हिम्मत नहीं हारी और अकेले मैदान में एक योद्धा की तरफ लड़कर टीम के लिए संघर्ष किया। उनके उस पल को कभी भुलाया नहीं जा सकता हैं।

वेस्टइंडीज के खिलाफ अंशुमन-गावस्कर की जोड़ी का कमाल

जानकारी के मुताबिक साल 1976 में अंशुमन गायकवाड़ और सुनील गावस्कर ने मिलकर मैच के दौरान शानदार साझेदारी करते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बल्ले से तबाही मचा दी थी। बता दें उस समय वेस्टइंडीज की टीम को विश्व क्रिकेट की सबसे शक्तिशाली टीम माना जाता था। कप्तान क्लाइव लॉयड की अगुआई में वेस्टइंडीज के पेस बैटरी ने विपक्षी टीमों को बहुत परेशान किया था।

बता दें साल 1976 के किंग्सटन टेस्ट में वेस्टइंडीज ने भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ शॉर्ट गेंदों की झड़ी लगा दी थी, लेकिन इन गेंदों का डटकर सामना करते हुए भारतीय बल्लेबाज अंशुमान गायकवाड़ और सुनील गावस्कर ने पहले विकेट के लिए कुल 136 रन जोड़े। यह साझेदारी भारतीय क्रिकेट के लिए एक यादगार पल था और गायकवाड़-गावस्कर की इस पारी को हमेशा याद किया जाता है, क्योकि वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के सामने कोई भी बल्लेबाज ज्यादा देर तक टिक कर नही खेल पता था।

साथी खिलाडी को चोट लगने के बाद भी किया संघर्ष

बता दें साल 1976 के किंग्सटन टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज के गेंदबाज भारतीय बल्लेबाजों को लगातार शॉट गेंद डाल रहे थे, साथ ही बल्लेबाजों के शरीर पर भी निशाना लगाने की कोशिश कर रहे थे, जिससे भारतीय बल्लेबाजों में डर की स्थिति पैदा कर सके। उसी दौरान विंडीज गेंदबाजों ने एक ऐसी खतरनाक बाउंसर गेंद डाली, जो बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ को जा लगी और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा।

बताया कि साथी खिलाड़ी को बुरी तरह चोटिल होता देखने के बावजूद अंशुमन गायकवाड़ ने संघर्ष करते हुए मुश्किल समय में भी अपना हौसला बनाए रखा और खेल निरंतर जारी रखा। इस बीच एक बाउंसर गेंद अंशुमान के कान पर जा लगी, जिससे उनके कान का पर्दा फट गया था। इस मैच में गायकवाड़ ने 81 रन की शानदार पारी खेलकर भारत को संभाला था। लेकिन टेस्ट के दूसरे दिन भारतीय टीम को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योकि कई प्रमुख खिलाड़ी घायल हो गए थे। उसके बाद कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पारी घोषित कर दी और भारत को इस मुकाबले को हार गया। लेकिन गायकवाड़ की 81 रन की पारी आज भी देश के प्रति उनके साहस को दर्शाती हैं।

 

 

 

 

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