अंतरिक्ष में SpaDeX का करिश्मा! 'हैंडशेक' के लिए तैयार भारत के यान, देखें पूरी जानकारी

अंतरिक्ष में SpaDeX का करिश्मा! 'हैंडशेक' के लिए तैयार भारत के यान, देखें पूरी जानकारी
Last Updated: 4 घंटा पहले

स्पैडेक्स मिशन के तहत दोनों अंतरिक्ष यान 3 मीटर तक करीब लाए गए। सुरक्षित दूरी पर ले जाकर डॉकिंग प्रक्रिया में डाक और अनडाक की क्षमता का प्रदर्शन होगा।

SpaDeX Mission: भारत अपने महत्वाकांक्षी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन में सफलता के करीब पहुंच गया है। इसरो ने जानकारी दी है कि स्पैडेक्स मिशन के तहत दोनों अंतरिक्षयान को 15 मीटर और आगे 3 मीटर तक पास लाने का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। दोनों अंतरिक्षयान पूरी तरह से सही तरीके से काम कर रहे हैं।

3 मीटर की दूरी पर पहुंचे अंतरिक्षयान

इसरो ने आज पोस्ट कर बताया कि दोनों यान को 15 मीटर से 3 मीटर तक पास लाने का प्रयास किया गया। परीक्षण के बाद यानों को सुरक्षित दूरी पर वापस ले जाया गया है। अब डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। इसके बाद डॉकिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

डाक और अनडाक की क्षमता का प्रदर्शन

डॉकिंग प्रक्रिया के तहत दोनों अंतरिक्षयानों को 225 मीटर तक लाने की योजना है। इसरो ने डॉकिंग प्रक्रिया के लिए कोई तारीख तय नहीं की है। ‘स्पैडेक्स’ मिशन के जरिए भारत अंतरिक्षयान को ‘डाक’ और ‘अनडाक’ करने की क्षमता का प्रदर्शन करेगा। यह सफलता भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी में सक्षम दुनिया का चौथा देश बनाएगी।

महत्वाकांक्षी मिशनों के लिए अहम तकनीक

अंतरिक्षयान के जुड़ने को डॉकिंग और उनके अलग होने को अनडॉकिंग कहा जाता है। यह प्रौद्योगिकी भारत के भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों जैसे चंद्रमा से नमूने वापस लाने और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

इसरो के मुताबिक, दोनों अंतरिक्षयान फिलहाल 230 मीटर की इंटर सेटेलाइट डिस्टेंस (आईएसडी) पर हैं। सेंसर और अन्य उपकरणों का मूल्यांकन जारी है।

डॉकिंग प्रक्रिया में देरी

स्पैडेक्स डॉकिंग प्रयोग को अब तक दो बार टाला जा चुका है। जब मिशन को लॉन्च किया गया था, डॉकिंग प्रक्रिया सात जनवरी को निर्धारित थी। इसे नौ जनवरी तक टाल दिया गया। निर्धारित दूरी तक लाने में सफलता मिलने के बाद डॉकिंग को फिर स्थगित किया गया।

स्पैडेक्स का लॉन्च 

30 दिसंबर को इसरो ने ‘स्पैडेक्स’ मिशन लॉन्च किया था। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को नए आयाम देने की दिशा में बड़ा कदम है। इस मिशन से भारत न केवल अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता हासिल करेगा, बल्कि भविष्य के गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी मजबूत आधार तैयार करेगा।

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