GDP Data: अब जीडीपी आंकड़े शाम 5.30 बजे के बजाय शाम 4 बजे होंगे जारी, सरकार ने क्यों लिया ऐसा फैसला? जानिए विस्तार से

GDP Data: अब जीडीपी आंकड़े शाम 5.30 बजे के बजाय शाम 4 बजे होंगे जारी, सरकार ने क्यों लिया ऐसा फैसला? जानिए विस्तार से
Last Updated: 08 नवंबर 2024

सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी करने का समय बदलकर शाम 4 बजे कर दिया है, जबकि पहले ये आंकड़े शाम 5:30 बजे जारी किए जाते थे। इस फैसले का मुख्य कारण आंकड़ों की पारदर्शिता और वैश्विक निवेशकों के बीच बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना है। शाम 4 बजे आंकड़े जारी करने से वित्तीय बाजारों को समय रहते आवश्यक जानकारी मिल सकेगी, जो कि व्यापार और निवेश के फैसलों को प्रभावित करती हैं।

जीडीपी: सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी करने का समय शाम 5:30 बजे से बदलकर शाम 4 बजे करने का फैसला किया है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, इस बदलाव का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं, मीडिया, और जनता को इन आंकड़ों तक अधिक समय तक पहुंच प्रदान करना है, जिससे वे डेटा का बेहतर तरीके से विश्लेषण और उपयोग कर सकें।

शाम 4 बजे आंकड़े जारी करने से मीडिया को रिपोर्टिंग के लिए अधिक समय मिलेगा, जिससे जनता तक जानकारी तुरंत पहुंच सकेगी। इसके साथ ही, यह समय बदलाव अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और बाजार विश्लेषकों को भी समय पर डेटा एक्सेस देकर आर्थिक और वित्तीय निर्णयों को अधिक सटीक और प्रभावी बनाएगा।

सरकार ने क्यों लिया समय बदलाव का फैसला?

सरकार द्वारा जीडीपी डेटा जारी करने के समय में बदलाव का उद्देश्य वित्तीय बाजारों की सुगमता को बनाए रखना है। नया समय शाम 4 बजे तय किया गया है ताकि डेटा जारी होने के बाद भी निवेशक और बाजार विश्लेषक आवश्यक कार्रवाई कर सकें, जबकि सक्रिय ट्रेडिंग प्रभावित हो। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और जनता विश्लेषकों को समय पर जानकारी उपलब्ध कराने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता हैं।

29 नवंबर, 2024 को वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के जीडीपी अनुमान प्रेस सूचना ब्यूरो और मंत्रालय की वेबसाइट पर शाम 4 बजे जारी किए जाएंगे। इससे पहले, अप्रैल-जून तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जो आरबीआई के 7.1 प्रतिशत के अनुमान से कम रही। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रखी है, जबकि आईएमएफ और विश्व बैंक ने इसे 7.0 प्रतिशत पर आंका हैं।

विभिन्न अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और संगठनों ने भी भारत के आर्थिक विकास दर के अपने पूर्वानुमानों को संशोधित किया है, जो वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए किया गया हैं।

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