इस साल अब तक सोने की कीमत में लगभग 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, और यह लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। लेकिन चांदी ने सोने की चमक को कुछ हद तक धुंधला कर दिया है। निवेशक अब चांदी को एक सुरक्षित विकल्प मान रहे हैं, और इसके औद्योगिक उपयोग में भी वृद्धि हो रही है।
Gold-Silver Price: इस साल सोने की कीमत में 33 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि चांदी की कीमत में 46 फीसदी का उछाल देखा गया है। हाल ही में चांदी की कीमत एक लाख रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गई है। निवेशक अब सुरक्षित विकल्प के रूप में चांदी की ओर बढ़ रहे हैं, और इसके औद्योगिक उपयोग में भी वृद्धि हो रही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के अनुसार, मध्यम से लंबी अवधि में चांदी का प्रदर्शन सोने के बराबर या उससे बेहतर हो सकता है। आने वाले 12 से 15 महीनों में एमसीएक्स पर चांदी की कीमत 1,25,000 रुपये प्रति किलो और कॉमेक्स पर 40 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की संभावना है।
रेट में बदलाव होने की संभावना
फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म के अनुसार, मध्यम अवधि में सोने की कीमत 81,000 रुपये प्रति 10 ग्राम और लंबी अवधि में 86,000 रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इसके साथ ही, कॉमेक्स पर सोने की कीमतें मध्यम अवधि में 2,830 डॉलर और लंबी अवधि में 3,000 डॉलर तक बढ़ सकती हैं। हाल के वर्षों में सोना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले संपत्तियों में से एक रहा है, और इस साल सोने की कीमतें कॉमेक्स और घरेलू बाजारों दोनों में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी हैं।
सोने की कीमतों में उछाल
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च विश्लेषक मानव मोदी के अनुसार, 2024 में बाजार की अनिश्चितताओं, दरों में कटौती की उम्मीदों, बढ़ती मांग और रुपये में गिरावट के कारण सोने की कीमतों में उल्लेखनीय तेजी आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद के महीनों में सोने की निकट अवधि की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस साल कीमती धातुओं में तेजी के दो प्रमुख कारक फेडरल रिजर्व से दरों में कटौती की संभावना और मध्य पूर्व में बढ़ती भू-राजनीतिक हलचल हैं। इसके अलावा, दिवाली के समय में सकारात्मक सेंटिमेंट रहने की उम्मीद है।
त्यौहारी सीजन में सोने की मांग
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि ऐतिहासिक रूप से त्यौहारी सीजन के दौरान सोने की मांग में उछाल देखने को मिलता है। इस साल दिवाली के साथ अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की नीति बैठक भी हो रही है, जिससे बाजार की धारणा में सुधार होने की संभावना है। हालांकि, बढ़ती कीमतों के कारण ओवरऑल डिमांड में कमी आ सकती है। उल्लेखनीय है कि साल 2011 के बाद से केवल 2015 और 2016 में दिवाली से पहले के 30 दिनों में सोने में नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया गया है।