आरती श्री गंगाधर जी की

आरती श्री गंगाधर जी की
Last Updated: 8 घंटा पहले

ॐ जय गंगाधर जय हर,

जय गिरिजाधीशा।

त्वं मां पालय नित्यं,

कृपया जगदीशा॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

कैलासे गिरिशिखरे,

कल्पद्रुमविपिने।

गुंजति मधुकरपुंजे,

कुंजवने गहने॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

कोकिलकूजित खेलत,

हंसावन ललिता।

रचयति कलाकलापं,

नृत्यति मुदसहिता॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

तस्मिंल्ललितसुदेशे,

शाला मणिरचिता।

तन्मध्ये हरनिकटे,

गौरी मुदसहिता॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

क्रीड़ा रचयति,

भूषारंचित निजमीशम्‌।

इंद्रादिक सुर सेवत,

नामयते शीशम्‌॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

बिबुधबधू बहु नृत्यत,

हृदये मुदसहिता।

किन्नर गायन कुरुते,

सप्त स्वर सहिता॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

धिनकत थै थै धिनकत,

मृदंग वादयते।

क्वण क्वण ललिता वेणुं,

मधुरं नाटयते॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

रुण रुण चरणे रचयति,

नूपुरमुज्ज्वलिता।

चक्रावर्ते भ्रमयति,

कुरुते तां धिक तां॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

तां तां लुप चुप,

तां तां डमरू वादयते।

अंगुष्ठांगुलिनादं,

लासकतां कुरुते॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

कपूरद्युतिगौरं,

पञ्चाननसहितम्।

त्रिनयनशशिधरमौलिं,

विषधरकण्ठयुतम्‌॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

सुन्दरजटायकलापं,

पावकयुतभालम्‌।

डमरुत्रिशूलपिनाकं,

करधृतनृकपालम्‌॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

मुण्डै रचयति माला,

पन्नगमुपवीतम्‌।

वामविभागे गिरिजा,

रूपं अतिललितम्‌॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

सुन्दरसकलशरीरे,

कृतभस्माभरणम्‌।

इति वृषभध्वजरूपं,

तापत्रयहरणं॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

शंखनिनादं कृत्वा,

झल्लरि नादयते।

नीराजयते ब्रह्मा,

वेदऋचां पठते॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

अतिमृदुचरणसरोजं,

हृत्कमले धृत्वा।

अवलोकयति महेशं,

ईशं अभिनत्वा॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

ध्यानं आरति समये,

हृदये अति कृत्वा।

रामस्त्रिजटानाथं,

ईशं अभिनत्वा॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

 

संगतिमेवं प्रतिदिन,

पठनं यः कुरुते।

शिवसायुज्यं गच्छति,

भक्त्या यः श्रृणुते॥

ॐ हर हर हर महादेव॥

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