उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कालीमठ मंदिर न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, बल्कि तंत्र साधकों के लिए भी यह स्थल अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर मां काली को समर्पित है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण सहित कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। तंत्र साधना की दृष्टि से कालीमठ का महत्व असम के कामाख्या मंदिर के समान माना जाता है।
मां काली का अंतर्ध्यान स्थल
कालीमठ मंदिर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालीशिला को मां काली के प्रकट होने का स्थान माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पृथ्वी पर रक्तबीज और शुंभ-निशुंभ का आतंक बढ़ गया था, तब देवताओं ने शक्ति की साधना की। उनकी साधना से प्रसन्न होकर देवी काली प्रकट हुईं और दैत्यों का संहार करने के लिए कालीशिला में एक बालिका के रूप में अवतरित हुईं। कहा जाता है कि देवी ने रक्तबीज का वध करने के बाद अंतर्ध्यान होकर कालीमठ में ही विराजमान हो गईं। यही कारण है कि इस मंदिर में देवी काली की मूर्ति नहीं है, बल्कि एक कुंड में यंत्र रूप में देवी की पूजा की जाती है।
मंदिर की विशेषता: मूर्ति नहीं, यंत्र की पूजा
कालीमठ मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां देवी की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। मंदिर के गर्भगृह में एक विशेष कुंड में यंत्र के रूप में देवी की पूजा की जाती है। नवरात्रि की अष्टमी को मध्य रात्रि में केवल मुख्य पुजारी द्वारा इस कुंड की विशेष पूजा की जाती है। तंत्र साधकों का मानना है कि यहां देवी को 64 यंत्रों की शक्ति प्राप्त हुई थी।
कालीमठ और धारी देवी का संबंध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालीमठ मंदिर में मां काली के निचले भाग (धड़) की पूजा होती है, जबकि उत्तराखंड के श्रीनगर में स्थित धारी देवी मंदिर में ऊपरी भाग (सिर) की पूजा होती है। यह धार्मिक संबंध मंदिर को और भी पवित्र बनाता है। नवरात्रि के दौरान कालीमठ मंदिर में दर्शन का विशेष महत्व है। भक्तों का मानना है कि नवरात्रि में यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
कैसे पहुंचे कालीमठ मंदिर
कालीमठ मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो कालीमठ से 200 किलोमीटर दूर है। रेल मार्ग से आने वाले यात्री ऋषिकेष रेलवे स्टेशन तक पहुंचकर सड़क मार्ग से मंदिर तक जा सकते हैं। सड़क मार्ग से ऋषिकेष, रुद्रप्रयाग और गुप्तकाशी होते हुए यहां पहुंचना संभव है।