बाबा खाटू श्याम: जानिए वीर बर्बरीक के शीशदान से लेकर भव्य मंदिर तक का पौराणिक इतिहास

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राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम धाम श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां महाभारत के महान योद्धा वीर बर्बरीक ने श्रीकृष्ण को अपना शीश दान किया था और ‘हारे का सहारा’ की उपाधि प्राप्त की थी। उनकी वीरता, दानशीलता और भक्ति के चलते वे आज बाबा श्याम के रूप में पूजे जाते हैं। हर साल लाखों भक्त फाल्गुन महीने में खाटू धाम पहुंचकर बाबा के दर्शन करते हैं।

कैसे हुई बाबा खाटू श्याम की स्थापना?

खाटू श्याम जी का मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने बनवाया था। बाद में 1720 ई. में मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। इस मंदिर की गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा दुर्लभ पत्थर से बनी है, जिसे बेहद चमत्कारी माना जाता है। मंदिर निर्माण से जुड़ी एक अद्भुत कथा प्रचलित है, सदियों पहले इस स्थान पर एक गाय रोज़ आकर खड़ी हो जाती थी और बिना किसी कारण उसके थनों से दूध की धारा बहने लगती थी। 

ग्रामीणों को यह अचंभित करने वाला दृश्य देखने को मिलता था। जब इस स्थान की खुदाई की गई, तो भूगर्भ से बाबा श्याम का शीश प्रकट हुआ। उसी रात खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मंदिर निर्माण की प्रेरणा मिली और कार्तिक एकादशी के दिन इस पवित्र स्थान पर बाबा श्याम का भव्य मंदिर स्थापित कर दिया गया।

महाभारत से खाटू श्याम बनने तक का सफर

वीर बर्बरीक, महान पांडव योद्धा भीम के पोत्र थे और उनका जन्म कार्तिक एकादशी को हुआ था। बचपन से ही वे देवी सिद्धि प्राप्त कर चुके थे और तीन अमोघ बाणों के स्वामी थे। जब महाभारत का युद्ध होने वाला था, तब उन्होंने युद्ध में भाग लेने की इच्छा जताई।

क्यों लिया था श्रीकृष्ण ने बर्बरीक का शीशदान?

श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण वेश में बर्बरीक से पूछा, "तुम युद्ध में किस पक्ष से लड़ोगे?" बर्बरीक ने उत्तर दिया, "जो पक्ष हार रहा होगा, मैं उसी का साथ दूंगा, क्योंकि मैंने अपनी माता को यही वचन दिया है।" यह सुनकर श्रीकृष्ण को समझ आ गया कि यदि बर्बरीक युद्ध में उतरे, तो वे लगातार हारने वाले पक्ष का साथ देकर युद्ध को अनिश्चितकाल तक खींच देंगे और धर्म की स्थापना नहीं हो सकेगी। इसीलिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से शीशदान की मांग की, ताकि युद्ध को उचित रूप से संपन्न किया जा सके।

वीर बर्बरीक ने निःसंकोच अपना शीश श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया। श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर उनके शीश को अमृत से सींचकर एक ऊंचे स्थान पर रख दिया, जिससे उन्होंने पूरा युद्ध देखा। युद्ध समाप्त होने के बाद जब पांडव विजय के अभिमान में आ गए, तब श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा, "इस युद्ध में जीत किसकी वजह से हुई?"

युद्ध देखने वाले बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया, "इस युद्ध में केवल श्रीकृष्ण की लीला ही विजयी हुई है।" इस तरह उन्होंने पांडवों के अहंकार को तोड़ा।
खाटू श्याम जी क्यों कहलाते हैं ‘हारे का सहारा’ ?  महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में वे ‘श्याम’ नाम से पूजे जाएंगे और जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से उनकी शरण में आएगा, वे उसका सहारा बनेंगे। इसी कारण बाबा को ‘हारे का सहारा’ कहा जाता है।

बाबा के धड़ और शीश के अलग-अलग स्थान

• सीकर, राजस्थान – खाटू श्याम धाम: यह वह स्थान है जहां बाबा श्याम की प्रतिमा स्थापित की गई थी और जहां आज भव्य मंदिर स्थित है।
• हरियाणा, चुलकाना धाम: यह वह स्थान है जहां बर्बरीक ने अपना शीशदान दिया था और श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन किए थे।
• हरियाणा, स्याहड़वा धाम: यह वह स्थान है जहां बर्बरीक के धड़ की पूजा की जाती है।

खाटू श्याम मंदिर के चमत्कार

खाटू श्याम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां बाबा हर दिन अलग-अलग रूप में दर्शन देते हैं। कुछ भक्तों ने तो यहां तक बताया कि उन्होंने बाबा की प्रतिमा के आकार में भी बदलाव महसूस किया। यह आस्था और विश्वास का प्रतीक है कि बाबा हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।

कैसे करें बाबा श्याम को प्रसन्न?

अगर आप बाबा खाटू श्याम के दर्शन करने जा रहे हैं, तो उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग अर्पित करें:

• छप्पन भोग – बाबा को विभिन्न प्रकार के मिठाइयां और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
• गुलाब और केवड़े का इत्र – बाबा को सुगंधित इत्र अत्यंत प्रिय है।
• मोर पंख – मोर पंख चढ़ाने से बाबा शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

फाल्गुन महोत्सव: बाबा के दरबार में उमड़ता श्रद्धा का सैलाब

खाटू श्याम धाम में हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी को विशाल मेले और महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसी दिन बाबा ने श्रीकृष्ण को अपना शीश दान किया था। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से बाबा के दर्शन करने खाटू पहुंचते हैं और ‘जय श्री श्याम’ के जयकारों से मंदिर गूंज उठता है।

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