कामदा एकादशी 2025 का व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाएगा, जो इस वर्ष 8 अप्रैल 2025, मंगलवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पुण्यदायक और कल्याणकारी माना गया है। विशेष रूप से कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना से सभी पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कामदा एकादशी 2025 का महत्व (Kamada Ekadashi 2025 Significance)
शास्त्रों के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की सुख-शांति प्रदान करता है। यह व्रत मन, वचन और कर्म से शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और भविष्य के दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
भगवान विष्णु को प्रिय भोग (Bhog for Kamada Ekadashi 2025)
कामदा एकादशी व्रत के दिन सात्विक और फलाहारी भोग भगवान विष्णु को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। आइए जानें कि इस व्रत में भगवान को कौन-कौन से भोग अर्पित किए जाएं:
1. फल (Fruits)
ताजे और ऋतु फल जैसे केला, आम, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि अर्पित करें।
फल भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का सरल और पवित्र माध्यम हैं।
2. सूखे मेवे (Dry Fruits)
बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता आदि का भोग लगाया जा सकता है।
यह शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
3. तुलसी दल (Tulsi Leaves)
भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है।
किसी भी भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य अर्पित करें।
4. पंजीरी और मिठाइयां (Panjeri & Sweets)
धनिया की पंजीरी, नारियल के लड्डू, पेड़ा, बर्फी आदि भोग में शामिल करें।
घर में बनी मिठाइयों से पूजा करना अत्यधिक शुभ होता है।
5. पंचामृत (Panchamrit)
दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
इसे पूजा के अंत में जरूर अर्पित करें।
कामदा एकादशी की पूजा विधि (Puja Vidhi for Kamada Ekadashi)
प्रातःकाल स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएं और पीले वस्त्र पहनाएं।
दीपक जलाएं, तुलसी दल अर्पित करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
उपरोक्त बताई गई वस्तुओं से भगवान को भोग लगाएं।
रात्रि में जागरण करें और अगली तिथि को व्रत पारण करें।
कामदा एकादशी 2025 न केवल आध्यात्मिक उन्नति का दिन है, बल्कि यह पवित्र व्रत मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और पितृ कल्याण का माध्यम भी है। भगवान विष्णु की आराधना और प्रिय भोगों के माध्यम से भक्त अपने जीवन में शुभता और संतुलन का अनुभव करते हैं। इस एकादशी को श्रद्धा, नियम और संयम से जरूर करें।