बर्फ के पिघलने के कारण विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत से ॐ का सिद्धांत गायब हो गया है। अब यहां केवल काला पहाड़ ही दिखाई दे रहा है। प्रोफेसर बीडी जोशी का कहना है कि मनुष्यों की गतिविधियों में जिस तरह की वृद्धि हो रही है, उससे मोटर गाड़ियां भी तेजी से पर्वत क्षेत्रों में प्रवेश कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण पर्वतों के लिए एक गंभीर खतरा साबित हो रहा हैं।
हरिद्वार: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ क्षेत्र में कैलाश मानसरोवर जाने वाले मार्ग पर ओम पर्वत स्थित है। हाल के दिनों में इस ओम पर्वत से ओम का स्वरूप गायब हो गया है। यह पर्वत अब बर्फ रहित हो गया और इसका रंग काला पड़ गया है। इस बदलाव से देश भर के पर्यावरणविद और पर्यावरण वैज्ञानिक गहरी चिंता में हैं। प्रोफेसर बीडी जोशी का कहना है कि मनुष्यों की गतिविधियों में जिस तरह की वृद्धि हो रही है, उससे मोटर गाड़ियां भी तेजी से पर्वत क्षेत्रों में प्रवेश कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण पर्वतों के लिए एक गंभीर खतरा साबित हो रहा हैं।
उर्मिला सनवाल गुंज्याल ने ॐ पर्वत को लेकर किया ये दावा
जानकारी के अनुसार बर्फ के पिघलने के कारण विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत से ॐ गायब हो चुका है। अब यहां मात्र एक काला पहाड़ ही दिखाई दे रहा है। पर्यावरणविद और स्थानीय लोग इसके लिए वैश्विक तापमान में वृद्धि और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों को जिम्मेदार मान रहे हैं। हाल ही में, पिथौरागढ़ के प्रवास पर अपने मूल गांव गुंजी गईं उर्मिला सनवाल गुंज्याल ने बताया कि वह 16 अगस्त को ओम पर्वत के दर्शन के लिए गई थीं। जब उन्होंने नाभीढांग से फोटो खींचने के लिए देखा, तो ओम पर्वत पर बर्फ नहीं दिखी। ओम के गायब होने से वह काफी निराश हुईं।
धारचूला के व्यास घाटी में स्थित है ओम पर्वत
कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील में स्थित ओम पर्वत 5,900 मीटर की ऊंचाई पर है। यह पर्वत कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग पर नाभीढांग से दिखाई देता है। भारतीय पर्यावरण संस्थान उत्तराखंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के पूर्व पर्यावरण एवं जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर बीडी जोशी का कहना है कि यदि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मनुष्यों की आवाजाही इसी तरह बढ़ती रही और विकास, तीर्थाटन और पर्यटन के नाम पर लोगों की भीड़ बढ़ती गई, तो पहाड़ों में सड़कों का जाल अंधाधुंध तरीके से बिछाया जाता रहेगा और सुरंगें बनती रहेंगी। ऐसे में एक दिन उत्तराखंड के पहाड़ हमेशा के लिए ग्लेशियर विहीन हो सकते हैं और ओम पर्वत का अस्तित्व भी समाप्त हो सकता हैं।
प्रोफेसर बीडी जोशी ने प्रशासन से की ये मांग
उत्तराखंड के चारों धामों, विशेषकर बद्रीनाथ और केदारनाथ के लिए शुरू की गई हेलीकॉप्टर सेवा ने पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाला है। इन हेलीकॉप्टरों के संचालन से वायु और ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि हो रही है, जिससे स्थानीय जीव-जंतुओं का अस्तित्व मुश्किल हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की गतिविधियों को तुरंत रोका जाना चाहिए और बिना सोचे-समझे सड़कों, सुरंगों और इमारतों के निर्माण पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। प्रोफेसर जोशी ने उत्तराखंड में तीर्थाटन के नाम पर हो रहे अंधाधुंध निर्माण कार्यों को रोकने सरकार से मांग की हैं।
पर्यटकों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी
प्रोफेसर जोशी का कहना है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओम पर्वत के दर्शन के लिए गए थे और इस घटना का राष्ट्रीय स्तर पर जो प्रचार हुआ, उससे कुमाऊं के पिथौरागढ़ क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र का तापमान भी बढ़ने लगा है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है और गर्मी भी बढ़ रही है। ऋतुओं के चक्र में परिवर्तन साफ देखा जा रहा है। ओम पर्वत से बर्फ का गायब होना भी एक महत्वपूर्ण कारण है। पिछले मौसम में गर्मियों में तापमान अत्यधिक बढ़ गया था, जबकि बारिश और सर्दियों की अवधि कम हो गई थी। यह भी स्पष्ट हुआ है कि बारिश की मात्रा कम होती जा रही है और सर्दियों का समय पहले की तुलना में लगातार घटता जा रहा हैं।