NDRF Raising Day: हर साल 19 जनवरी को देशभर में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) स्थापना दिवस मनाया जाता है, जो उनकी निस्वार्थ सेवा और असंख्य जिंदगियों को बचाने की प्रतिबद्धता को सम्मानित करने का एक दिन है। इस दिन विशेष रूप से उन बहादुर जवानों की वीरता को याद किया जाता है जिन्होंने विपत्ति के समय अपने जान की बाजी लगाकर देशवासियों की मदद की। एनडीआरएफ की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी और तब से लेकर आज तक यह बल देश की आपदाओं से निपटने में अग्रणी भूमिका निभा रहा हैं।
एनडीआरएफ का गठन
एनडीआरएफ का गठन भारत में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत किया गया था। इसके पहले, भारत में आए कई प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, चक्रवात, भूस्खलन आदि ने यह सिद्ध कर दिया था कि एक समर्पित आपदा प्रतिक्रिया बल की आवश्यकता है। 19 जनवरी 2006 को एनडीआरएफ की स्थापना की गई और तब से यह बल देशभर में प्राकृतिक आपदाओं के समय सबसे आगे खड़ा रहता हैं।
एनडीआरएफ की भूमिका
एनडीआरएफ के कर्मियों ने हर आपदा के समय अपनी साहसिकता और कार्यकुशलता का परिचय दिया है। हाल ही में वडोदरा में एक नाव पलटने की घटना में एनडीआरएफ ने जल्दी प्रतिक्रिया करते हुए छात्रों और शिक्षकों की जान बचाई। एनडीआरएफ की तत्परता और कुशल बचाव कार्य ने संकट में फंसे लोगों की मदद की। यह घटनाएं एनडीआरएफ के कर्मियों के समर्पण और कठिन परिस्थितियों में काम करने की प्रतिबद्धता को उजागर करती हैं।
एनडीआरएफ का समर्पण
एनडीआरएफ का आदर्श वाक्य "आपदा सेवा सदा सर्वत्र" उनके साहस और प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह वाक्य उन नायक कर्मचारियों की भावना का प्रतीक है, जो किसी भी आपदा के समय अपना कर्तव्य निभाने में पीछे नहीं हटते। चाहे बाढ़ हो, भूकंप हो, या किसी अन्य आपात स्थिति का सामना हो, एनडीआरएफ के जवान पूरी तत्परता से मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य करते हैं।
एनडीआरएफ की ताकत
एनडीआरएफ की कुल 16 बटालियन हैं, जिनमें से प्रत्येक बटालियन में 1149 कर्मी होते हैं। यह बल भारत के प्रमुख अर्धसैनिक बलों से मिलकर बनता है, जिसमें सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और अन्य कई बलों का योगदान है। हर बटालियन में 18 स्व-निहित खोज और बचाव दल होते हैं, जिनमें तकनीशियन, इलेक्ट्रीशियन, डॉग स्क्वाड, डॉक्टर और पैरामेडिक्स शामिल होते हैं, जो किसी भी आपदा के समय तुरंत तैनात हो सकते हैं।
एनडीआरएफ ने सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं। कोविड महामारी के दौरान ओडिशा में आई विनाशकारी बाढ़ में एनडीआरएफ के जवानों ने जीवन रक्षक कार्य किए। इसके अलावा, फिजी में चक्रवात के बाद राहत सामग्री भेजने का कार्य भी किया गया, जिससे यह बल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित हुआ।
महिला बचावकर्मी
एनडीआरएफ ने 2021 में महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया और 100 महिला बचावकर्मियों का पहला बैच शामिल किया। ये महिलाएं अब देश भर में आपदा प्रतिक्रिया के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिससे यह बल और भी सशक्त हुआ है। महिलाओं की भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि एनडीआरएफ न केवल एक बल है, बल्कि यह समाज में समानता का प्रतीक भी हैं।
एनडीआरएफ की भविष्यवाणी
एनडीआरएफ का काम सिर्फ आपदाओं से निपटना ही नहीं, बल्कि संकट के समय समुदायों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना भी है। बोरवेल में फंसे बच्चों से लेकर रासायनिक आपात स्थितियों को नियंत्रण में लाने तक, एनडीआरएफ के कर्मी हर प्रकार की आपदा का सामना करने के लिए तैयार हैं। उनकी विशेषज्ञता और अटूट समर्पण उन्हें संकट के समय उम्मीद की एक ज्वाला बनाता हैं।
एनडीआरएफ की भूमिका पर आभार और सम्मान
19 जनवरी को हम एनडीआरएफ स्थापना दिवस मनाते हैं, और इस दिन हम उनके संघर्ष, साहस और समर्पण को सम्मानित करते हैं। इस दिन हम उनके द्वारा की गई सेवा को याद करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका योगदान हमारे दिलों में हमेशा रहेगा। एनडीआरएफ सिर्फ एक बल नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और सेवा का एक जीवंत उदाहरण है। उनका प्रत्येक कदम राष्ट्र के प्रति उनके अटूट प्रेम और प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं।