केसर का उपयोग विभिन्न आहारों में किया जाता है, जिसमें इसके अनगिनत गुणकारी तत्व होते हैं। केसर को "रेड गोल्ड" कहा जाता है और इसकी अनूठी खुशबु और विशेष गुणों के लिए पहचान है। यह फूलों वाला पौधा है और दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक माना जाता है, लेकिन इसकी खेती किसी भी भूमि में की जा सकती है। इसे "रेड गोल्ड" कहा जाता है, और इसे हिंदी में केसर, तमिल में कुनकुमापु, और अरबी भाषा और बंगाली भाषा में जाफरान कहा जाता है। भारत में केसर की खेती हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में प्रमुख रूप से की जाती है, लेकिन अब इसे उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी उगाया जा रहा है।
केसर की खेती से जुड़े कुछ आवश्यक तथ्य:
1. उपयुक्त मिट्टी:
केसर की खेती के लिए रेतीली चिकनी बलुई और दोमट मिट्टी का उपयोग होता है, लेकिन आजकल इसे शुष्क राज्यों में भी किया जा रहा है और उचित देखभाल के साथ रेतीली मिट्टी का चयन किया जाता है। भूमि का P.H. मान सामान्य होना चाहिए और जलभराव से बचने के लिए जल भराव वाली जगह नहीं होनी चाहिए।
2. उपयुक्त जलवायु और तापमान:
केसर की खेती ठंडे क्षेत्रों में अधिक सफल होती है, और इसे सर्दी, गर्मी, और बारिश जैसे तीनों ही जलवायु में उगाया जा सकता है। तापमान के लिए लगभग 20-25 डिग्री सेंटीग्रेड अनुकूल है, जिससे पौधों की अच्छी वृद्धि होती है।
3. उन्नत किस्में:
केसर की खेती में कई उन्नत किस्में हैं, लेकिन वर्तमान में दो प्रमुख किस्में हैं - कश्मीरी और अमेरिकन। इनमें से अमेरिकन केसर को अधिक मात्रा में उगाया जा रहा है।
4. केसर की पैदावार:
केसर के पौधे बड़े होते हैं और इनमें बेंगनी, नीली, और सफेद रंग के फूल निकलते हैं। इन फूलों में दो से तीन लाल-नारंगी रंग के तंतु होते हैं, जिनमें से केसर प्राप्त होता है। लगभग 75 हजार फूलों से 450 ग्राम केसर प्राप्त होता है।
अमेरिकन किस्म का केसर
इस किस्म का केसर, जो कि जम्मू-कश्मीर के बाहर भी बोया जा रहा है, कई अन्य स्थानों पर उगाया जा रहा है। इस किस्म का केसर कश्मीरी मोंगरा केसर से कम मूल्यवर्धन के साथ होता है। इसके पौधों को विशेष जलवायु की आवश्यकता नहीं होती, और इसलिए इसे शुष्क क्षेत्रों में भी बोया जा सकता है। इसके पौधे 4 से 5 फीट तक ऊँचे हो सकते हैं, जिनमें फूलों के शिखर बनते हैं। इन फूलों में विशेष रूप से गुलाबी रंग के तंतु होते हैं, जिनमें अधिक मात्रा में स्फुट होती है। इन फूलों को लाल होने पर किसा जाता है।
केसर की खेत जुताई का तरीका
इसके लिए खेत को ध्यानपूर्वक जोतना और अच्छी तरह से उवर्जक मिश्रित उर्वरक के साथ तैयार करना आवश्यक है, क्योंकि इससे पौधों को सही रूप से पोषण मिलता है। खेत की पहली जुताई को पलाऊ लगाकर करना चाहिए, फिर गोबर की खाद को डालकर उसे तिरछी जुताई कर खाद को अच्छे से मिलाकर तैयार करना चाहिए। इसके बाद खेत में पानी लगाना चाहिए और जमीन के हल्के सूखने के बाद N.P.K. की सही मात्रा को मिलाकर रोटावेटर से खेत को समतल और भुरभुरा बना देना चाहिए, ताकि खेत में जलभराव की समस्या न हो।
केसर का बीज लगाने का सही समय और तरीका
केसर की फसल लगभग 6 महीने में पूरी हो जाती है। केसर के बीजों को बारिश के मौसम के बाद जुलाई से सितंबर के बीच बोना जाना चाहिए। अगस्त की शुरुआत में बोना जाने वाला बीज सबसे अच्छा माना जाता है। इसके बाद, बीजों को बोने जाने के बाद, सर्दियों के शुरूआती मौसम में पौधों में केसर देने के लिए तैयार हो जाते हैं, जिससे केसर को सर्दी में खराब होने का खतरा नहीं होता है। केसर के बीजों को खेत में समतल और मेड दोनों ही तरीके से बोना जा सकता है, समतल तरीके से बोने जाने पर पौधों के बीच में डेढ़ से दो फीट की दूरी रखनी चाहिए, और मेड पर बोने जाने पर प्रत्येक मेड के बीच लगभग एक से डेढ़ फीट की दूरी होनी चाहिए और मेड पर बोने जाने वाले पौधों के बीच में एक फीट की दूरी होनी चाहिए।
कश्मीरी मोंगरा केसर के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 1 से 2 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है, जबकि अमेरिकन केसर के लिए आधा किलो बीज ही पर्याप्त होता है।
केसर के पौधों की सिंचाई का तरीका
केसर के बीजों को खेत में बोने जाने के बाद, उन्हें सही से सिंचाई देनी चाहिए। सर्दियों में, 15 दिन में एक बार सिंचाई करनी चाहिए, जबकि गर्मियों में प्रति सप्ताह दो बार सिंचाई करनी चाहिए और बर्फबारी के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करनी चाहिए।
उर्वरक की सही मात्रा है आवश्यक
खेत को तैयार करने के दौरान, जुताई के समय प्रति एकड़ के हिसाब से 10 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को डालना चाहिए। इसके अलावा, वे किसान जो रासायनिक उर्वरक का उपयोग करना चाहते हैं, उन्हें N.P.K. की सही मात्रा को खेत में आखरी जुताई से पहले छिड़कना चाहिए, और साथ ही वेस्ट डिकम्पोज को सिचाई के साथ पौधों को देना चाहिए।
केसर की खेती में होने वाली खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करें?
केसर के पौधों को खरपतवारों से बचाने के लिए, उनकी शुरुआती देखभाल की जरूरत होती है। जब खेत में पौधे अंकुरित होने लगते हैं, तो उनकी नीराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए। इसके बाद, 20 दिन के अंतराल में दो से तीन बार और गुड़ाई कर देनी चाहिए, जिससे पौधे अच्छे से विकसित होते हैं।
उन प्रदेशों में जहां बर्फ नहीं पड़ती है, वहां पौधों की देखभाल की आवश्यकता होती है। सर्दियों का मौसम इसके पौधों के लिए सुखाद होता है, किन्तु गर्मियों में अधिक गर्मी से इनके पौधों का नष्ट होने का खतरा होता है। इसे बचाने के लिए, इनके पौधों को छाया की आवश्यकता होती है।
केसर के पौधों में लगने वाले रोग
केसर के पौधों में बहुत ही कम रोग लगते हैं, लेकिन उनमें कुछ रोग हो सकते हैं जो उन्हें प्रभावित कर सकते हैं। इनमें से कुछ रोग निम्नलिखित हैं:
1. बीज सड़न रोग: इसे सड़ांध रोग भी कहा जाता है और यह पौधों की रोपाई के बाद ज्यादातर दिखता है। इस रोग को सस्पेंशन कार्बेन्डाजिम दवा से उपचारित किया जा सकता है।
2. मकड़ी जाल रोग: यह रोग पौधों की वृद्धि को पूरी तरह से रोक देता है और पूरे पौधों को प्रभावित कर सकता है। इससे बचाव के लिए, पौधों पर 8 से 10 दिन पुराने छाछ की पर्याप्त मात्रा को पानी में मिलाकर छिड़कना चाहिए।
केसर की तुड़ाई और सुखाई कैसे करें?
केसर के पौधे खेत में रोपाई करने के तीन से चार महीने पश्चात केसर देने लायक हो जाते हैं। पौधों में लगे फूलों पर जब पंखुड़ियां लाल और भगवा रंग की दिखने लगती हैं, तब उन्हें तोड़ कर जमा कर लें। इसके बाद, तोड़ी गई इन पंखुड़ियों को किसी छायादार स्थान पर सुखा लें। केसर को पूरी तरह से सुखा जाने पर उसे किसी बर्तन में रख लें।
केसर की पैदावार और उसका मूल्य
कश्मीरी मोंगरा केसर तक़रीबन 1,50,000 फूलों से एक किलो केसर प्राप्त होती है, जबकि अमेरिकन केसर के लिए आधा किलो बीज ही पर्याप्त होता है। कश्मीरी मोंगरा केसर की कीमत तीन लाख के आसपास होती है, वहीं अमेरिकन केसर की बात करें तो केसर की गुणवत्ता के अनुसार 50 हजार से 2 लाख तक के मूल्य में बेचा जाता है। इस तरह, किसान अगर चाहे तो अमेरिकन केसर की खेती कर प्रति बीघा में 50 हज़ार से दो लाख तक की कमाई कर सकता है।
केसर से होने वाले फायदे?
केसर से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:
1. इम्यून सिस्टम को सही बनाए रखना: केसर में विटामिन C, ए, और अन्य कई औषधीय गुण होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान कर सकते हैं।
2. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना: केसर में पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकता है और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है।
3. शारीरिक तंतु और मस्तिष्क को सही करना: साफ और पवित्र केसर को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
4. अच्छी नींद को प्रोत्साहित करना: केसर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन होता है जो नींद को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
5. डायबिटीज को नियंत्रित करना: केसर में अन्य तत्व होते हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं और डायबिटीज को संभाल सकते हैं।
इसी तरह, केसर के खास औषधीय गुण और कृषि तकनीकियों को ध्यान में रखते हुए किसान अच्छी खेती कर सकता है और उच्च मूल्यवर्धन से लाभ कमा सकता है।