क़तर में 8 पूर्व नौसैनिकों को फांसी। कैसे निकलेगा सामाधान, क्या प्रभाव पड़ेगा दोनों देशों के रिश्तों पर?

क़तर में 8 पूर्व नौसैनिकों को फांसी। कैसे निकलेगा सामाधान, क्या प्रभाव पड़ेगा दोनों देशों के रिश्तों पर?
Last Updated: 07 नवंबर 2023

क़तर में 8 पूर्व नौसैनिकों को फांसी। कैसे निकलेगा सामाधान, क्या प्रभाव पड़ेगा दोनों देशों के रिश्तों पर?  

वैसे तो क़तर की रिश्ते भारत के साथ या यूँ कहें की भारत और क़तर के रिश्ते कई सालों से सामान्य चल रहे थे, क़तर और भारत के बिच अच्छे व्यापारिक रिश्ते भी रहे हैं और कूटनीतिक रिश्ते भी, पर  पिछले हफ्ते, कतर की एक कंपनी के लिए काम करने वाले 8 भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई गई है। ये सभी लोग पूर्व भारतीय नौसैनिक हैं और रिटायरमेंट के बाद कतर की एक कंपनी में काम कर रहे थ। 

इन पूर्व भारतीय नेवी अधिकारियों को कतर में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था, इनपर जासूसी के गंभीर आरोप लगे और अब क़तर की अदालत ने इन पूर्व नेवी अधिकारियों को जासूसी के लिए दोषी करार दिया और मौत की सजा सुनाई है। ये सभी लोग क़तर की एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे 

इस घटना ने भारत में हलचल बढ़ा दी है क्यों की भारत सरकार पर पहले से ही इन पूर्व नेवी अधिकारियों को छुड़ाने का दबाओ था और अब उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई। इस घटना से भारत और कतर के बीच कूटनीतिक रिश्तों में चुनौतियां आ गई हैं और भारत-कतर रिश्तों पर भी सवालिया निशान लग गया है. मौत की सजा सुनाए जाने के बाद,भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई दिल्ली में उनके परिवारों से मुलाकात की और प्रतिज्ञा की कि सरकार उनकी रिहाई के लिए "हर संभव प्रयास" करेगी। "

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, "सरकार इस मामले को बहुत महत्व देती है, मैं पीड़ितों के परिवारों की चिंताओं और दर्द को पूरी तरह से समझता हूं और हमारी सरकार उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना जारी रखेगी।

पाकिस्तान ने भी इस मौके का भरपूर फायदा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने दावा किया कि कतर की घटना जासूसी गतिविधियों में भारत की संलिप्तता का ठोस सबूत है। उन्होंने खाड़ी देशों को भड़काने की कोशिश की और भारत पर जासूसी का आरोप लगाया, बलूच ने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से भारत के जासूसी नेटवर्क का मुद्दा उठाता रहा है, उन्होंने कुलभूषण जाधव का मुद्दा भी उठाया जिन्हें पाकिस्तान ने जबरन गिरफ्तार किया था। 

भारत-कतर के सम्बन्ध और उस पर प्रभाव

कतर फारस की खाड़ी में प्राकृतिक गैस संसाधनों से समृद्ध एक आमिर छोटा सा देश है। इसके ऐतिहासिक रूप से भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं और यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है, कूटनीतिक रूप से कतर के लगभग दुनियां के बाकि शक्तियों के साथ भी अच्छे रिश्ते रहे हैं। भारत को प्राकृतिक गैस की बहोत ज्यादा जरुरत होती है और इसका 80% से ज्यादा हिस्सा आयात किया जाता है, भारत  को अपनी 40% प्राकृतिक गैस कतर से मिलती है,आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से यह भारत के कुल वैश्विक प्राकृतिक गैस आयात का लगभग आधा हिस्सा है। आसान शब्दों में यह कहा जा सकता है की भारत अपने प्राकृतिक गैस के कुल आयात का आधा हिस्सा कतर से लेता है। 

कतर भारत को अपना विशेष व्यापारिक मित्र मानता है इसमें कोई शक नहीं। 

 

भारत-कतर के व्यापारिक संबंध और आंकड़े 

भारत और कतर ने कई वर्षों से व्यापार संबंध बनाए रखे है, समय समय पर ये सम्बन्ध और भी गहरे हुए हैं जिनसे भारत को काफी फायदा भी हुआ है। आइये समझते आंकड़ों के जरिये भारत-कतर के व्यापारिक संबंध को। 

भारत के कुल एलएनजी ( प्राकृतिक गैस ) आयात का 40 से 50 प्रतिशत कतर से आता है। 

कतर के कुल एलएनजी ( प्राकृतिक गैस ) निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 15% है। 

कतर भारत को अपना विशेष व्यापारिक मित्र मानता है। 

2016 में, कतर ने भारत के लिए एलएनजी ( प्राकृतिक गैस ) की कीमतें 50% से अधिक कम कर दीं थी। 

कतर भारत को सस्ती कीमतों पर प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करता है। 

कतर के साथ अच्छे व्यापारिक संबंधों और प्राकृतिक गैस के काम कीमत पर मिलने के कारण भारत ने 11-12 वर्षों में करीब 15 अरब डॉलर की बचत की। 

कतर की आबादी केवल 2.9 मिलियन ( 29 लाख ) है और यह भारतीय राज्य त्रिपुरा से भी छोटा है। 

कतर भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक बड़ी गारंटी प्रदान करता है।

इन सबसे एक बात तो किलियर हो जाती है और वो ये है की कतर भारत का मित्र और बड़ा व्यापारिक सहयोगी देश है, और वो जानबुझकर तो ऐसे कोई कदम नहीं उठाएगा या उठाना चाहेगा जिससे दोनों देशों के रिश्तों पर फर्क पड़े। इन पूर्व नेवी अफसरों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और सजा अब करीब 14 महीने बाद सुनाई गई है, तो जाहिर है इन 14 महीनों में एक लम्बी अदालती प्रक्रिया चली है और जांच में सामने आये तथ्वों को भी नजरअंदाज तो नहीं किया गया होगा। अब ये देखने वाली बात है की भारत सरकार अपनी कूटनीतिक कुशलता का प्रयोग करते हुए इस मसले का सामाधान कैसे निकालती है।  

 

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