Soumitra Chatterjee: दादा साहब फाल्के पुरस्कार तक पहुंचने का अनोखा सफर, जानिए उनकी कालजयी फिल्में

Soumitra Chatterjee: दादा साहब फाल्के पुरस्कार तक पहुंचने का अनोखा सफर, जानिए उनकी कालजयी फिल्में
Last Updated: 8 घंटा पहले

सौमित्र चटर्जी बंगाली सिनेमा के उन महान कलाकारों में से एक थे, जिन्होंने अपने जीवन के हर क्षण को अभिनय के प्रति समर्पित कर दिया। आज, 15 नवंबर 2020 को, हम उनकी पुण्यतिथि मनाते हैं। इस विशेष अवसर पर, आइए हम उनकी 10 प्रमुख फिल्मों पर एक नज़र डालते हैं।

सौमित्र चटर्जी को एक प्रतिभाशाली कलाकार के रूप में उनके प्रशंसक आज भी पसंद करते हैं। इसके साथ ही, उन्हें एक लेखक, कवि और नाटककार के रूप में भी याद किया जाता है। सौमित्र ने अधिकांश बंगाली फिल्मों में अभिनय किया, जबकि कुछ चुनिंदा हिंदी फिल्मों में भी उनकी उपस्थिति रही। उनके अभिनय और सिनेमा में दिए गए योगदान के लिए, उन्हें 2012 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने सबसे अधिक काम प्रसिद्ध निर्देशक सत्यजीत राय के साथ किया, और उनकी 14 उत्कृष्ट फिल्मों का हिस्सा रहे। अपने अभिनय के सफर में सौमित्र चटर्जी ने कई यादगार फिल्में की हैं। आइए, जानते हैं उनकी 10 बड़ी फिल्मों के बारे में।

अपुर संसार

सौमित्र चटर्जी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत बंगाली फिल्म 'अपुर संसार (1959)' से की, जिसे 'द वर्ल्ड ऑफ अप्पू' के नाम से भी जाना जाता है। इस फिल्म के निर्देशक, निर्माता और लेखक सत्यजीत राय थे। यह फिल्म प्रसिद्ध उपन्यास 'अपराजितो' के दूसरे भाग पर आधारित है। जब यह फिल्म रिलीज हुई, तो आलोचकों ने इसकी जमकर प्रशंसा की, और इसे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। इस फिल्म में उनके उत्कृष्ट अभिनय के चलते सौमित्र चटर्जी के लिए फिल्म इंडस्ट्री में नए दरवाजे खुल गए।

देवी

साल 1960 में फिल्म 'देवी' का प्रदर्शन हुआ। यह फिल्म प्रसिद्ध निर्देशक सत्यजीत रे द्वारा बनाई गई थी। इसमें सौमित्र चटर्जी ने शर्मिला टैगोर के साथ अभिनय किया। इस फिल्म की कहानी प्रभात कुमार मुखोपाध्याय की एक लघु कथा पर आधारित है। फिल्म का कथानक अंधविश्वास के अत्यधिक प्रभाव को प्रभावशाली तरीके से दर्शाता है।

अभिजान

साल 1962 में, सौमित्र चटर्जी ने निर्देशक सत्यजीत राय के साथ एक और फिल्म 'अभिजान' की। इस फिल्म में उन्होंने एक टैक्सी ड्राइवर का किरदार निभाया, जो अत्यंत घमंडी और गुस्सैल स्वभाव का होता है। सौमित्र ने इस फिल्म के पात्र और कहानी के साथ पूरी तरह से न्याय किया, और उन्होंने अपने चरित्र को अद्भुत तरीके से प्रस्तुत किया। उनके अभिनय ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा।

घरे बाइरे

1962 से 1984 के बीच, सौमित्र चटर्जी ने कई फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन 1984 में उन्होंने सत्यजीत राय की एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म "घरे बाइरे" में काम किया। यह फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित थी। इस फिल्म में सौमित्र के साथ विक्टर बनर्जी, स्वातिलेखा चटर्जी और जेनिफर केंडल जैसे प्रदीप्त कलाकार भी दिखाई दिए। फिल्म की कथा राष्ट्रवाद, महिला मुक्ति, और परंपरा बनाम आधुनिकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाती है।

गणशत्रु-लाठी

गणशत्रु' नामक फिल्म 1989 में सत्यजीत राय द्वारा बनाई गई थी, जिसमें मुख्य भूमिका में सौमित्र चटर्जी को लिया गया। यह फिल्म हेनरिक इबसेन के 1882 के नाटक "एनिमी ऑफ द पीपल" का रूपांतरण है। इसे 1989 के कान फिल्म समारोह में प्रदर्शित किया गया था। दूसरी ओर, 'लाठी (1996)' फिल्म में मुख्य भूमिका विक्टर बनर्जी की थी, लेकिन इसमें सौमित्र चटर्जी ने विक्टर बनर्जी के दोस्त के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस फिल्म के निर्देशक प्रभात रॉय थे। फिल्म एक सामान्य व्यक्ति के संघर्ष की कहानी को प्रस्तुत करती है।

शेष चिट्ठी-शेशर गोलपो

'शेष चिट्ठी' (2018) फिल्म का निर्देशन तन्मय रॉय ने किया था। इस फिल्म में सौमित्र चटर्जी और लिली चक्रवर्ती ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। फिल्म की कहानी एक परिवार के चालाक सदस्यों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो घर के मुखिया की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति को अपने नियंत्रण में लेने की योजना बनाते हैं। वहीं, 2019 में प्रदर्शित 'शेशर गोलपो' फिल्म में सौमित्र चटर्जी और ममता शंकर ने मुख्य भूमिकाओं में अभिनय किया। यह फिल्म रवींद्रनाथ ठाकुर के 1929 के प्रसिद्ध उपन्यास 'शेशेर कबिता' से प्रेरित थी और इसी उपन्यास का विस्तार प्रस्तुत करती है। फिल्म में एक वृद्ध दंपति की प्रेम कहानी को एक युवा दंपति की कहानी के साथ समानांतर रूप से दिखाया गया है।

बोरुनबाबुर बंधु और बेलाशुरू

साल 2019 में रिलीज हुई 'बोरुनबाबुर बंधु' फिल्म, रामपद चौधरी द्वारा लिखी गई एक बंगाली कहानी 'छड़' पर आधारित है। यह फिल्म एक वृद्ध पुरुष की कहानी को दर्शाती है, जिसे अचानक यह पता चलता है कि उसका एक वीवीआईपी दोस्त उससे मिलने के लिए आ रहा है। इस फिल्म में प्रसिद्ध अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने बुजुर्ग व्यक्ति की भूमिका निभाई है। इस फिल्म ने अपने रिलीज के वर्ष में कई पुरस्कार जीते। इसके बाद, 2022 में 'बेलाशुरू' फिल्म रिलीज हुई, जिसमें सौमित्र चटर्जी ने मुख्य भूमिका निभाई। यह फिल्म उनकी मृत्यु के बाद प्रदर्शित हुई, इसलिए इसे उनकी अंतिम फिल्म माना गया। इस फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसकी पत्नी अल्जाइमर रोग के कारण उसे पहचान नहीं पाती। वह अपनी पत्नी की पूरी देखभाल करता है और यह प्रयास करता है कि वह उसे पहचान सके। फिल्म की कहानी इसी भावनात्मक स्ट्रैटेजी पर आधारित है।

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