भारत फिल्म जगत के मशहूर कवि और गीतकार जावेद अख्तर का जीवन परिचय, जानिए उनके जीवन के कुछ रोचक तथ्य

भारत फिल्म जगत के मशहूर कवि और गीतकार जावेद अख्तर का जीवन परिचय, जानिए उनके जीवन के कुछ रोचक तथ्य
Last Updated: 12 जनवरी 2024

जावेद अख्तर किसी पहचान के मोहताज नहीं है। हिंदी फिल्म जगत के गीतों को अपनी कलम से जादुई अंदाज़ देने वाले जावेद अख्तर को कौन नहीं जानता। ग़जलों को एक नया और आसान रूप देने में जावेद साहब का बहुत बड़ा योगदान है। सलीम खान और जावेद अख्तर ने शोले, ज़ंजीर और न जाने कितनी कालजयी फ़िल्मों की पटकथा भी लिखी है। इस जोड़ी को  सिनेमा में सलीम-जावेद के नाम से भी जाना जाता है। जावेद साहब को वर्ष 1999 को पद्म भूषण और 2007 में पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है।  

जावेद अख्तर का जन्म 

जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी, 1945 को ग्वालियर में हुआ था। जावेद के पिता जां निसार अख्तर उर्दू के कवि और हिन्दी फिल्मों के गीतकार थे, जबकि उनकी मां साफिया अख्तर गायिका और लेखक होने के साथ ही संगीत की शिक्षिका भी थीं। लेखन का हुनर जावेद को विरासत में मिला था। उनके दादा मुज्तार खेराबादी भी उर्दू भाषा के कवि थे। बचपन से ही जावेद को घर में ऐसा माहौल मिला जिसमें उन्हें कविताओं और संगीत का अच्छा खासा ज्ञान हो गया। वैसे उनके माता-पिता उन्हें जादू कहकर पुकारा करते थे। यह नाम उनके पिता की लिखी कविता की एक पंक्ति.. लम्हा, लम्हा किसी जादू का फसाना होगा से लिया गया था। बाद में उन्हें जावेद नाम दिया गया। बेहद कम उम्र में जावेद की मां का इंतकाल (देहांत) हो गया था और इसके बाद उनके पिता ने दूसरा निकाह कर लिया था। 

जावेद अख्तर की शिक्षा 

जावेद अख्तर के जन्म के कुछ समय बाद ही उनका परिवार लखनऊ में आकर बस गया था। यही कारण है कि जावेद अख्तर ने अपनी स्कूली शिक्षा लखनऊ से ही पूरी की है। जावेद अख्तर ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मैट्रिक की पढ़ाई की है। इसके बाद जावेद अख्तर ने भोपाल के ‘साफिया कॉलेज´ से स्नातक की शिक्षा हासिल की। 

जावेद अख्तर का करियर

अपने सपनों को गति देने के लिए साल 1964 में जावेद अख्तर मुंबई आ गए. कलम पर उनकी पकड़ बचपन से ही मजबूत थी. यहीं कारण है कि वह मुंबई में 100 रूपए के मेहताने पर फिल्मों के डायलॉग लिखने लगे। इस बीच मुंबई में उनकी मुलाकात सलीम खान से  हुई। सलीम खान भी उस समय बतौर संवाद लेखक बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाना चाहते थे। ऐसे में दोनों ने ही साथ में काम करने का निर्णय लिया। 

1970 में फिल्म ‘अंदाज’ के लिए संवाद लिखने के बाद जावेद अख्तर की बॉलीवुड में पहचान बन गई। इसके बाद जावेद अख्तर और सलीम खान को कई हिंदी फिल्मों में संवाद लिखने का काम मिलने लगा। सलीम-जावेद की जोड़ी ने ‘हाथी मेरे साथी’, ‘सीता और गीता’, ‘जंजीर’ और ‘यादों की बारात’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए संवाद लिखे। खासकर ‘जंजीर’ में उनके द्वारा लिखे संवादों को खूब पसंद किया गया। यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई। शोले जावेद अख्तर और सलीम खान के करियर की सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई। यह फिल्म उस समय की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। आज भी इस फिल्म के नाम कई बड़े रिकॉर्ड है। इस फिल्म के संवादों को खूब पसंद किया गया था। इस फिल्म के जरिए जावेद अख्तर और सलीम खान को एक नई पहचान भी मिली। इसके बाद भी इस जोड़ी ने साथ मिलकर कई फिल्मों में शानदार काम किया। 

जावेद अख्तर और सलीम खान की जोड़ी ने करीबन 24 फिल्मों में साथ काम किया, जिनमें से करीब 20 फ़िल्में ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी। हालांकि साल 1987 में आई ‘मिस्टर इंडिया’ फिल्म के बाद जावेद अख्तर और सलीम खान की जोड़ी अलग हो गई। इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों में संवाद लिखने का काम जारी रखा। फिल्मों में संवाद लिखने के अलावा जावेद अख्तर ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट गाने भी लिखे है। साल 1994 में जावेद अख्तर ने गीत ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’  लोगो ने इस गाने को खूब प्यार दिया। इस गाने के लिए जावेद अख्तर को सर्वश्रेष्ठ गीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

इसके अलावा जावेद अख्तर को ‘संदेशे आते है’, ‘घर से निकलते ही’, ‘पंछी नदिया पवन के झोंके’, ‘सुन मितवा’, ‘कल हो ना हो’, ‘तेरे लिए’ गीत लिखने के लिए भी सर्वश्रेष्ठ गीतकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा जावेद अख्तर को उनके गीतों के लिए 5 बार नेशनल अवार्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

जावेद अख्तर की पत्नी

फिल्म ‘सीता और गीता’ के निर्माण के दौरान जावेद अख्तर की मुलाकात हनी ईरानी से हुई। धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार हो गया और जल्द ही जावेद अख्तर ने हनी ईरानी से शादी कर ली। हनी ईरानी से जावेद अख्तर को दो बच्चे हुए। जावेद अख्तर के बच्चों का नाम फरहान अख्तर और जोया अख्तर है। जावेद अख्तर और हनी ईरानी का रिश्ता लंबा नहीं चला और साल 1978 में दोनों का तलाक हो गया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हनी ईरानी को जावेद अख्तर की शबाना आजमी से करीबी के बारे में पता चल गया था, जिसके बाद हनी ईरानी ने जावेद अख्तर को तलाक दिया था। अपने करियर के शुरूआती दिनों में जावेद अख्तर, शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी के सहायक हुआ करते थे। संन 1984 में जावेद अख्तर ने शबाना आजमी से शादी कर ली। 

जावेद अख्तर के विवाद 

जावेद अख्तर ने CAA के विरोध में मोदी सरकार को घेरते हुए कहा था कि, ‘भारत अगर सभी पीड़ितों को नागरिकता दे रहा है तो फिर पाक में रहने वाले शियाओं को भी नागरिकता देनी चाहिए। 

जावेद अख्तर बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत से टकराव के कारण भी सुर्ख़ियों में आ चुके हैं। कंगना ने जावेद अख्तर पर आरोप लगाते हुए कहा था कि, ‘ऋतिक रोशन के साथ विवाद के दौरान जावेद अख्तर ने उन पर चिल्लाते हुए ऋतिक के परिवार से माफी मांगने के लिए कहा था। 

दिल्ली दंगों के दौरान जावेद अख्तर ने आरोपी ताहिर के खिलाफ हुई कार्रवाई को धर्म से जोड़कर देखा था। इस मामले में उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की गई थी। 

साल 2021 में जावेद अख्तर ने आरएसएस की तुलना तालिबान से कर दी थी। इस मामले को लेकर भी काफी बवाल हुआ था।

जावेद अख्तर को मिले सम्मान और पुरस्कार

वर्ष 1994 में प्रदर्शित फ़िल्म “1942 ए लव स्टोरी” के गीत एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा के लिए

वर्ष 1996 में प्रदर्शित फ़िल्म 'पापा कहते हैं' के गीत घर से निकलते ही (1997) के लिए

वर्ष 2000 में फ़िल्म 'बार्डर' के गीत संदेशे आते हैं  

फ़िल्म 'रिफ्यूजी' के गीत पंछी नदिया पवन के झोंके (2001) के लिए

फ़िल्म 'लगान' के सुन मितवा.. (2003) के लिए

 फ़िल्म 'कल हो ना हो' (2004) कल हो ना हो के लिए

फ़िल्म 'वीर जारा' के तेरे लिए…के लिए

नागरिक सम्मान

 पद्मश्री (1999)

 पद्मभूषण (2007)

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ गीतकार)

 वर्ष 1996 में फ़िल्म 'साज'

वर्ष 1997 में 'बार्डर'

वर्ष 1998 में 'गॉड मदर'

वर्ष 2000 में फ़िल्म 'रिफ्यूजी'

 वर्ष 2001 में फ़िल्म 'लगान'

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