क्राइम ब्रांच ने जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, उनमें रफीक, अब्दुल लतीफ अडानी पटेल, मुश्ताक अहमद आजमी, मो आसिफ उर्फ बबलू, और गोपाल सिंह बहादुर मान शामिल हैं। इन गिरफ्तारियों के बाद हाईजैकर्स के बारे में जानकारी सामने आई है। इस जानकारी के आधार पर जांच एजेंसियां इस मामले की गहराई से जांच कर रही होंगी ताकि संदिग्धों के और संभावित कनेक्शनों का पता लगाया जा सके और मामले की सच्चाई सामने आ सके।
बॉलीवुड: वेब सीरीज "आईसी 814" जो कि 1999 में भारतीय यात्री विमान के अपहरण पर आधारित है.इसमें किरदारों के नाम और चित्रण को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है। इस विवाद के संदर्भ में, केंद्र सरकार ने नेटफ्लिक्स इंडिया के कई बड़े अधिकारियों को समन भेजा है। इस सीरीज में वास्तविक जीवन की घटना को दर्शाया गया है, जिसमें 1999 में भारतीय एयरलाइन इंडियन एयरलाइंस के विमान को आतंकियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया था। इस हाईजैक के तार मुंबई से जुड़े थे और मुंबई पुलिस ने सबसे पहले आतंकियों की जानकारी प्रदान की थी।
इस घटना की पूरी जानकारी
* हाईजैक का प्रारंभ: 1999 में, इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 को आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। विमान में 155 लोग सवार थे और इसे काठमांडू से दिल्ली जाते समय हाईजैक किया गया था।
* मुंबई पुलिस की भूमिका: मुंबई पुलिस ने आतंकियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की और इस प्रकार की जाँच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आतंकियों ने मुंबई में अपने ठिकानों का उपयोग किया था, जिससे पुलिस को इनकी गतिविधियों पर निगरानी रखने में मदद मिली।
* पुलिस और जांच एजेंसियां: भारतीय सुरक्षा बलों और जांच एजेंसियों ने इस हाईजैक को नियंत्रित करने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की।
क्राइम ब्रांच ने आतंकियो के फोन से निकाली जानकारी
24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस का विमान आईसी 814 काठमांडू से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरते ही हाईजैक कर लिया गया था। जैसे ही इस घटना की जानकारी अधिकारियों को मिली, पूरे देश को हाई अलर्ट पर रखा गया। महाराष्ट्र के पूर्व महानिदेशक डी सिवानंधन ने इंडियन एक्सप्रेस में एक आर्टिकल में इस घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच को इस हाईजैक के पीछे की असली कहानी और आतंकियों के नाम का पता चला:
* डी सिवानंधन का बयान: डी सिवानंधन, जो उस समय मुंबई पुलिस में संयुक्त पुलिस आयुक्त और क्राइम ब्रांच के प्रमुख थे, ने बताया कि उन्हें मुंबई पुलिस आयुक्त आरएच मेंडोंका ने इस घटना की जानकारी दी और पूरी अपराध शाखा को हाई अलर्ट पर रखने का निर्देश दिया।
* हेमंत करकरे की भूमिका: क्रिसमस के दिन, डी सिवानंधन अपने कार्यालय में थे, जब महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे उनके पास पहुंचे। करकरे उस समय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के मुंबई कार्यालय में तैनात थे। उन्होंने डी सिवानंधन को बताया कि रॉ को एक फोन नंबर मिला है जो मुंबई से पाकिस्तान के संपर्क में था और इस नंबर का संबंध आईसी 814 हाईजैक से था।
* हाईजैक के तार: करकरे की जानकारी के आधार पर मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच ने हाईजैक के संदर्भ में महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त किए और आतंकियों के असली नामों और उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाई। इस प्रकार, मुंबई पुलिस ने इस जटिल मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आतंकियों ने पाकिस्तानी हैंडलर से की पैसों की मांग
डी सिवानंधन की टीम ने उस फोन नंबर की निगरानी कई दिनों तक की और तीन दिन बाद, निगरानी टीम को उनके सिस्टम पर एक अलर्ट मिला कि फोन सक्रिय है। यह फोन मुंबई के एक व्यक्ति ने पाकिस्तान में अपने हैंडलर को किया था, जिसमें उसने कहा कि उसके पास नकदी की कमी है और उसे तुरंत पैसे की आवश्यकता है। पाकिस्तान में उसके संपर्क ने उसे 30 मिनट तक इंतजार करने को कहा और फिर वापस कॉल करने का आश्वासन दिया। इसके बाद, क्राइम ब्रांच ने सक्रिय रूप से काम करना शुरू किया।
फोन की बातचीत से यह पता चला कि मुंबई में रहने वाला आतंकवादी हवाला के पैसे लेने के लिए एक शख्स से मिलने के लिए मोहम्मद अली रोड स्थित शालीमार होटल जा रहा था। इस सूचना के आधार पर, क्राइम ब्रांच ने शालीमार होटल पर निगरानी बढ़ा दी और सुरक्षा बलों को मौके पर तैनात किया। इससे आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर रखना संभव हुआ और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की गई। इस तरह की सूचनाओं और सटीक निगरानी ने इस जटिल हाईजैक केस को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्राइम ब्रांच ने पुलिस रेड और आतंकियों को किया गिरफ्तार
होटल से वापसी के दौरान पुलिस ने उस आतंकवादी पर निगरानी रखी और उसका पीछा किया। मुंबई के बशीरबाग में उसके ठिकाने का पता चलते ही पुलिस और क्राइम ब्रांच ने वहां छापा मारा। इस रेड के दौरान पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया। उनकी पहचान निम्नलिखित है:
रफीक मोहम्मद (34 वर्ष)
अब्दुल लतीफ अडानी पटेल (34 वर्ष)
मुश्ताक अहमद आजमी (45 वर्ष)
मोहम्मद आसिफ उर्फ बबलू (25 वर्ष)
गोपाल सिंह बहादुर मान (38 वर्ष)
रफीक मोहम्मद और मोहम्मद आसिफ उर्फ बबलू पाकिस्तानी थे। रेड के दौरान, पुलिस ने काफी मात्रा में असलाह और बालासाहब ठाकरे के घर 'मातोश्री' का एक मैप भी बरामद किया। इस मैप और अन्य सामग्री के आधार पर पूछताछ के दौरान पता चला कि कंधार हाईजैक के आतंकवादियों का कनेक्शन मुंबई में रह रहे आतंकवादियों से था। इस तरह की घटनाओं की जांच और आतंकवादियों की पहचान करने में पुलिस और क्राइम ब्रांच की त्वरित कार्रवाई ने इस जटिल मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अब्दुल लतीफ पटेल से पूछताछ के दौरान पता चला कि हाईजैक करने वाली टीम जुलाई 1999 से मुंबई में छिपी हुई थी और अपहरण की योजना बना रही थी। अपहर्ताओं की पहचान निम्नलिखित पाकिस्तानियों के रूप में की गई:
इब्राहिम अतहर - बहावलपुर, पाकिस्तान
शाहिद अख्तर - कराची, पाकिस्तान
सनी अहमद काजी - कराची, पाकिस्तान
मिस्त्री जहूर इब्राहिम
शाकिर सिंध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने सबसे पहले इस जानकारी का पता लगाया और आतंकवादियों की पहचान की। इस जानकारी के आधार पर, पुलिस और सुरक्षा बलों ने उच्चतम स्तर की निगरानी और कार्रवाई की, जिससे अपहरण की योजना को नाकाम किया गया और आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया।