Mangesh Yadav Encounter Controversy: क्या है मंगेश यादव की एनकाउंटर कहानी? पुलिस ने टाले अपने बयान, जानिए पूरा मामला

Mangesh Yadav Encounter Controversy: क्या है मंगेश यादव की एनकाउंटर कहानी? पुलिस ने टाले अपने बयान, जानिए पूरा मामला
Last Updated: 14 सितंबर 2024

हाल ही में यूपी में मीडिया के सवालों का जवाब देने के लिए किसी डकैती के मामले में एक बड़ा जमावड़ा शायद ही कभी देखा गया हो। लेकिन इस बार मामला कुछ अलग था। यह डकैती से संबंधित नहीं था, बल्कि चर्चा का विषय था डकैती से जुड़े मंगेश यादव का एनकाउंटर।

Uttra Pradesh: पुलिस ने खुलासा किया कि कैसे सुल्तानपुर में भरत ज्वेलर्स की दुकान में डकैती की साजिश रची गई थी। इस साजिश में शामिल लोगों की लिस्ट भी सामने आई है और यह बताया गया कि किसने इस साजिश को अंजाम देने के लिए मोटरसाइकिल चुराई। लूट के दौरान बरामद सोने की मात्रा भी साझा की गई।

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या मंगेश यादव का एनकाउंटर असली था या नकली ? क्या 2 सितंबर को मंगेश यादव को उठाया गया था, यह जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि मंगेश यादव का एनकाउंटर चप्पल में कैसे हुआ। यूपी पुलिस के इतिहास में डकैती के किसी मामले में शायद ही इससे पहले इतनी बड़ी प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई हो, जो इस केस की गंभीरता को दर्शाती है।

डकैती के मामले में हुई सबसे प्रेस कांफ्रेंस

लखनऊ पुलिस मुख्यालय में टेबल, कुर्सियां और माइक पूरी तरह से सेट हो चुके थे। कैमरों के पीछे कई क्राइम रिपोर्टर अपनी-अपनी जगह ले चुके थे। तभी एक-एक करके उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन शीर्ष अधिकारी अपनी निर्धारित कुर्सियों पर बैठने लगे। बीच में उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी प्रशांत कुमार विराजमान थे। उनके बाईं ओर अमिताभ यश बैठे थे, जो यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और एसटीएफ के प्रमुख हैं। वहीं, प्रशांत कुमार के दाहिनी ओर एडीजी लखनऊ ज़ोन एसबी शिरोडकर बैठे थे।

डीजीपी ने मंगेश के एनकाउंटर पर नहीं दिए कोई बयान

हाल के समय में उत्तर प्रदेश या देश के किसी अन्य राज्य में डकैती के मामलों को लेकर रिपोर्टरों के सवालों के जवाब देने के लिए इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों का एकत्रित होना शायद ही कभी देखा गया है। यह डकैती की बात नहीं थी, बल्कि सवाल मंगेश यादव के एनकाउंटर से जुड़े थे, जिसके लिए यूपी पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि डकैती से लेकर राज्य की जीडीपी तक के मुद्दों पर डीजीपी साहब ने बयान दिया, लेकिन मंगेश यादव के एनकाउंटर पर उठने वाले सवालों का ऐसा कोई जवाब नहीं दिया, जो असली या फर्जी एनकाउंटर के संदेह को स्पष्ट कर सके।

यूपी पुलिस ने पूरी तैयारी के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया। इस प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कुछ वीडियो भी प्रदर्शित किए गए। इन वीडियो के माध्यम से 28 अगस्त की दोपहर लगभग पौने एक बजे सुल्तानपुर के भरत ज्वेलर्स में डाका डालने वाले पांच लुटेरों की स्पष्ट तस्वीरें दिखाई गईं। इतना ही नहीं, यूपी पुलिस ने इन तस्वीरों पर ग्राफिक्स का प्रयोग भी किया, जिसे आमतौर पर न्यूज चैनल करते हैं। हर लुटेरे की छवि को फ्रीज़ कर एक से पांच तक की संख्या दिखाई गई और उनके नामों को एक सर्कल में दर्शाया गया।

सवाल को टाल गए डीजीपी साहब

यह सारी मेहनत इस बात को साबित करने के लिए थी कि इस लूटपाट में जो पांच लुटेरे शोरूम के अंदर थे, उनमें से एक मंगेश यादव भी था। हालांकि, किसी का चेहरा स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई दे रहा था। जाहिर है, सवाल तो उठता था कि बिना चेहरे के हम कैसे कह सकते हैं कि यह मंगेश है? एक रिपोर्टर ने भी यह सवाल पूछा। इसी बीच, डीजीपी साहब झुंझलाते हुए अनजान तरीके से सवाल को कहीं और मोड़ गए।

क्या है मंगेश का आपराधिक इतिहास?

मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों के बीच यूपी पुलिस शायद भूल गई थी कि सुल्तानपुर के भरत ज्वेलर्स में हुई डकैती पर किसी को कोई संदेह नहीं है। वहां डाका पड़ा, यह एक तथ्य है। डकैत कैमरे में कैद हुए, यह भी सत्य है। इन पांच नकाबपोशों में से एक मंगेश यादव हो सकता है, यह भी संभव है। मंगेश यादव पर चोरी के आठ पुराने मामले हैं, यह भी सही है। वह दो बार जेल जा चुका है, इसे भी नकारा नहीं किया जा सकता। लेकिन सवाल यह है कि ये सब बातें ही महत्वपूर्ण नहीं हैं।

एनकाउंटर पर उठाया सवाल

सवाल यह उठता है कि क्या मंगेश यादव का एनकाउंटर वास्तव में फर्जी था? क्या मंगेश यादव को उसके घर से दो दिन पहले ही उठा लिया गया था? हालांकि, इस महत्वपूर्ण प्रश्न का सही उत्तर देने के बजाय, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मीडिया को मंगेश यादव की मां और बहन का बयान एक वीडियो के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस दावे के साथ कि यह वीडियो 3 सितंबर का है, यानी उस समय का जब पुलिस मंगेश को उसके घर पर खोजने आई थी।

मंगेश यादव को लेकर दो महत्वपूर्ण दावे

मंगेश यादव की मां और बहन का बयान इस मामले में खास महत्व रखता है, क्योंकि इन्होंने मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद मीडिया में यह दावा किया था कि सादे कपड़ों में कुछ पुलिसकर्मी 2 सितंबर की रात को मंगेश को उनके घर से उठाकर ले गए थे। लेकिन अब यूपी पुलिस द्वारा जारी 3 तारीख की वीडियो में दोनों ये बता रही हैं कि मंगेश पिछले 2-3 महीनों से घर पर नहीं था, बल्कि वह मुंबई गया हुआ था। यह मीडिया के सामने किया गया दावा 2 सितंबर का था, जबकि यूपी पुलिस की ओर से जारी 3 सितंबर का दावा इससे भिन्न है।

क्या हैं डकैती की कहानी?

राज्य के तीन उच्च अधिकारियों के अनुसार, डकैती की साज़िश काफी पहले से तैयार की गई थी। इसके बाद, भरत ज्वेलर्स की दो बार रेकी की गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेकी की तस्वीरें भी प्रस्तुत की गईं। इतना ही नहीं, रेकी करने वालों के नाम भी बताए गए हैं। हालाँकि, यूपी पुलिस के अनुसार, इन दोनों रेकी में मंगेश यादव का नाम शामिल नहीं है। लेकिन लूट के लिए जिन दो मोटरसाइकिलों का उपयोग किया गया, उनकी चोरी के मामले में मंगेश का नाम जरूर उल्लेखित किया गया है।

बाइक चोरी के मामले पर सीधे जवाब नहीं मिला

हालांकि, जब एक रिपोर्टर ने इन दो में से एक बाइक की चोरी के संदर्भ में सवाल उठाया कि आठ दिन बाद अचानक इसकी रिपोर्ट कैसे दर्ज की गई और पहले ये रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी गई, तो इस सवाल के जवाब में डीजीपी साहब ने कुछ और ही उत्तर दिया।

जौनपुर से चोरी हुई बाइक

यह सच है कि हमने इस घटना में कल नसीम की बातचीत दिखाई थी, जिसकी बाइक 20 अगस्त को जौनपुर के एक अस्पताल के बाहर से चोरी हो गई थी। नसीम कई दिनों तक थाने के चक्कर लगाता रहा। उसने 112 नंबर पर पुलिस को कॉल भी किया, लेकिन किसी ने उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी। फिर 28 अगस्त को भरत ज्वेलर्स में डाका पड़ने के कुछ घंटे बाद, अचानक उसकी बाइक चोरी की रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है।

आरोपियों की हुई पहचान

यहां यह सवाल भी उठता है कि अगर नसीम की बाइक चोरी की रिपोर्ट समय पर दर्ज करा दी जाती, और अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज से बाइक चुराने वालों की पहचान कर ली जाती, तो शायद भरत ज्वेलर्स में होने वाले डाके की साज़िश का पर्दाफाश पहले ही हो जाता। इससे केवल डाका टल सकता था, बल्कि यूपी पुलिस को मंगेश यादव का एनकाउंटर करने की जरूरत भी नहीं पड़ती।

डकैती मामले में सरकार ने दी सफाई

यह सच में आश्चर्यजनक है कि इस डकैती के मामले में आज केवल उत्तर प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने ही मीडिया के समक्ष नहीं आकर स्पष्टीकरण दिया, बल्कि राज्य के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और सुल्तानपुर के ज्वेलर्स एसोसिएशन को भी सामने लाकर स्थिति को स्पष्ट किया गया।

 

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