2019 से 2024 तक खरीदे गए 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड, 187 बॉन्ड का भुगतान नहीं, SBI ने SC में दाखिल किया हलफनामा

2019 से 2024 तक खरीदे गए 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड, 187 बॉन्ड का भुगतान नहीं, SBI ने SC में दाखिल किया हलफनामा
Last Updated: 14 मार्च 2024

SBI (State Bank Of India) ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि राजनीतिक दलों द्वारा जो चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) इन कैश नहीं किए गए। उनको नियमों के मुताबिक, पीएम रिलीफ फंड में जमा कर दिया है। 

Electoral Bond: भारतीय स्टेट बैंक (SBI:State Bank Of India) ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग को दे दिया है। इस मामले पर SBI ने SC में हलफनामा दाखिल किया है और बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सारा डाटा निर्वाचन आयोग को सौंप दिया गया है।

मामले पर SBI के सीएमडी दिनेश खारा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए चुनावी बॉन्ड की खरीद और बिक्री, इसके खरीदने वाले राजनितिक दलों के नाम के साथ अन्य जानकारी को लेकर फाइल तैयार की है जिसे समय से पहले चुनाव आयोग को मुहैया करा दिया गया है।

इलेक्टोरल बॉन्ड का ब्यौरा

हलफनामें में आंकड़ों के दौरान बताया गया कि - 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक 3346 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए और 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 1815 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। हलफनामे में दर्ज अब फरवरी 2024 तक कुल 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए थे, जिनमें 22030 इलेक्टोरल बॉन्ड इन कैश कराए गए। इनमें 187 का भुगतान नहीं लिया गया है। दरअसल, उनको नियमों के अनुसार पीएम रिफंड फंड में जमा कर दिए गए हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद की तारीख, खरीददारों के नाम और उनका पूरा विवरण चुनाव आयोग को दे दिया गया है।

SC ने आयोग को जमा कराने का दिया था समय

मिली जानकारी के अनुसार, SBI ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) से जुड़ी जानकारी साझा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने SBI की इस मांग को खारिज कर दिया था और उसे 12 मार्च 2024 तक सभी आंकड़े चुनाव आयोग के समक्ष साझा करने को कहा था। 

इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को 'असंवैधानिक' बताते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही SBI से 6 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग को जमा कराने को कहा था। लेकिन, इस फैसले पर SBI ने 30 जून तक का समय मांगा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की मांग को खारिज करते हुए 12 मार्च तक साड़ी डिटेल्स चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दिया है और साथ ही चुनाव आयोग (EC) को ये सारी डिटेल 15 मार्च को शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है। 

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड

subkuz.com को मिले सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने साल 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा की थी। जिसे 29 जनवरी, 2018 को कानूनी तौर पर लागू किया गया था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने चुनावी चंदे की योजना में 'साफ-सुथरा' धन लाने और 'पारदर्शिता' बढ़ाने को कहा गया था।

चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) एक तरह का वचन पत्र है। इसकी खरीदारी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा 29 शाखाओं पर किसी भी भारतीय नागरिक या कंपनी की ओर से की जा सकती है। यह बॉन्ड नागरिक या कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को दान करने का एक जरिया है। इनसे अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाते हैं। ये रकम 1000 से लेकर 1 करोड़ रुपये तक हो सकती है। 

 

Leave a comment