Amarnath Yatra 2024: जानिए कैसे पड़ा बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ? हर साल क्यों की जाती हैं यात्रा, पढ़ें अमरनाथ यात्रा की कथा

Amarnath Yatra 2024: जानिए कैसे पड़ा बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ? हर साल क्यों की जाती हैं यात्रा, पढ़ें अमरनाथ यात्रा की कथा
Last Updated: 01 जुलाई 2024

हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल में से एक अमरनाथ धाम है। यहां हर साल लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. धार्मिक मान्यता है कि बाबा बर्फानी के दर्शन करने से इंसान को मोक्ष मिल जाता है और भोलेनाथ अपने भक्तों के सभी संकट को हर लेते हैं।

जम्मू-कश्मीर: बाबा बर्फानी (अमरनाथ) के दर्शन करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में भक्त अमरनाथ यात्रा करते है। इस यात्रा में अधिकतर शिव भक्त अपनी कामना लेकर आते हैं। बेहद कठिन रास्तों के बावजूद श्रद्धालुओं बेहद खास उत्साह के साथ अमरनाथ यात्रा में शामिल होते हैं। रास्ते में भगवान शिव के नाम का जप करके भक्त यात्रा को पूरी कर बाबा बर्फानी के सम्मुख दर्शन करते हैं। क्या आपको लोगों को पता है कि बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ कैसे रखा गया? अगर नहीं मालूम तो आइए जानते हैं इसके बारे में और पढ़ते हैं इसका इतहास।

बाबा बर्फानी की जातक कथा

Subkuz.com पर आज हम आप लोगों को बाबा बर्फानी की पौराणिक कथा सुनाते हैं. एक बार भगवान शिव माता पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाने के लिए लेकर गए थे। क्योकि मां पार्वती ने भोलेनाथ से मोक्ष का मार्ग जानने के लिए इच्छा जताई थे। इसके बाद भगवान शिव जी ने मां पार्वती को अमरत्व की एक कथा सुनाई। उसी दौरान वहां पर दो कबूतर भी मौजूद थे। बता दें कि कबूतर के जोड़े ने सारी अमृतज्ञान की कथा को सुन लिया था, जिसके बाद कबूतर का जोड़ा सदा के लिए अमर हो गया।

बता दे कि कई श्रद्धालुओं ने गुफा के अंदर उस अमर कबूतर के जोड़े को देखने का दावा भी किया है। बताया कि कबूतर जोड़ा अमर कथा का साक्षी होने की वजह से इस गुफा का नाम अमरनाथ गुफा पड़ गया। अमरनाथ के साथ उनके आसपास के स्थलों के नाम भी ऐसे ही पड़े. बताया कि महादेव ने अमरनाथ गुफा में जाने से पहले महागुण पर्वत पर अपने पुत्र गणेश को चौकीदार बनाकर विराजमान किया था। प्रभु ने उनको यह जिम्मेदारी दी कि कथा के समय गुफा के अंदर कोई भी जीव आए। शिवजी ने गुफा में जाने से पहले नंदी का त्याग किया, जिसके कारण उस स्थल का नाम पहलगांव पड़ा। ऐसे ही चंद्रमा का त्याग करने पर चंदनवाड़ी, सर्प का त्याग करने पर शेषनाग और अंत में जटाओं में मां गंगा का त्याग करने पर उस स्थान का पंचतरणी पड़ा।

यात्रा का समापन्न कब होगा

Subkuz.com ने बताया कि प्रत्येक वर्ष बाबा बर्फानी या अमरनाथ यात्रा का प्रारंभ आषाढ़ माह में होता है. भारत के अलग-अलग स्थानों से लाखों की संख्या में भक्त यात्रा में शामिल होकर बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं. बता दे की यात्रा का समापन रक्षाबंधन के दिन होता है। इस वर्ष 2024 में 29 जून से यात्रा शुरू हो गई है जो 19 अगस्त को समाप्त होगी

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