पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के चलते वामपंथी दल माकपा ने एक्स के जरिए कहा कि चुनाव प्रचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एंकर का इस्तेमाल करेंगे।
Kolkata News: पश्चिम बंगाल में राजनीतिक कार्यस्थलों पर कम्प्यूटीकरण का विरोध करने के आरोप का सामना कर चुकी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) आगामी लोकसभा चुनावों 2024 के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को एक प्रचार अभियान उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
पार्टी की इस नई परियोजना को चलाने वाले वरिष्ठ नेता ने एक्स पर इसकी जानकारी दी है और कहा कि समता प्रचार अभियान संबंधी न्यूज़ और लोगों के हितों से जुड़े अन्य मामलों के प्रचार-प्रसार के लिए एआइ (AI) एंकर का इस्तेमाल सही रहेगा।
पहली बार की ऐसी पहल शुरू की
subkuz.com को मिले सूत्रों के मुताबिक, देश के चुनावी इतिहास में पहली बार किसी पार्टी ने संभवत: इस तरह की पहल शुरू की है। बताया गया कि माकपा के नेतृत्व वाला वाममोर्चा बंगाल की 42 सीटों में से 21 पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुका है। जिनमें से 17 चुनावी क्षेत्रों में माकपा दल की मजबूत पकड़ रही है।
AI एंकर (समता) बंगाली भाषा में शुरू
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य लाहिड़ी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की उनकी पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल के AI प्रेजेंटर ‘समता’ को बंगाली भाषा में शुरू किया गया है और जल्द ही इसे क्षेत्र में हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में भी पेश किया जाएगा। समता ने सोशल मिडिया एक्स पर बंगाल के लोगों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस साल होली के उत्सव पर हमारा उपहार JNU का लाल गुलाल में होना है। वामपंथी नेता सृजन भट्टाचार्य ने कहा कि हम हमेशा ऐसी नई तकनीकी का उपयोग करना चाहते हैं, जो हमारे राष्ट्र को भी सुदृढ़ बनती है। इस लिए चुनाव प्रचार के लिए एआइ एंकर का इस्तेमाल करेंगे।
भाजपा ने इस पहल पर की आलोचना
बताया जा रहा है कि बंगाल में इस नई पहल के बाद बीजेपी नेता तथागत राय ने माकपा के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह हास्यास्पद है कि माकपा जैसी पार्टी चुनावों के प्रचार के लिए टेक्नोलाजी को अपना रही है, जिसने 1980 के दशक में भारत में कंप्यूटर शिक्षा का विरोध किया था। इसके जवाब में माकपा के नेता भट्टाचार्य ने बताया कि मार्क्सवादी पार्टी कभी भी कंप्यूटर शिक्षा के खिलाफ नहीं थी लेकिन जिस तरह से इसे क्रियान्वित किया जा रहा था, उससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो जाते, जो माकपा ऐसा कभी नहीं चाहती थी।