बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधान पार्षद (MLC) सुनील सिंह की सदस्यता बहाल करने का आदेश दिया।
पटना: बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधान पार्षद (MLC) सुनील सिंह की सदस्यता बहाल करने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कथित अपमानजनक टिप्पणी और उनकी मिमिक्री करने के आरोप में सुनील सिंह की विधान परिषद सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस फैसले को पलटते हुए उन्हें बड़ी राहत दी हैं।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
मंगलवार को जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सुनवाई के दौरान माना कि सुनील सिंह का आचरण अनुचित था, लेकिन उनकी सदस्यता खत्म करना सजा के लिहाज से अत्यधिक था। कोर्ट ने धारा 142 का उपयोग करते हुए उनकी सदस्यता बहाल कर दी और विधान परिषद अध्यक्ष द्वारा जारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट- अगर फिर से दुर्व्यवहार किया तो?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सुनील सिंह दोबारा सदन में अनुचित व्यवहार करते हैं, तो एथिक्स कमेटी और विधान परिषद अध्यक्ष इस पर फैसला ले सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि संवैधानिक न्यायालय विधायिका के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
विधान परिषद में 26 जुलाई 2024 को सुनील सिंह की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री की थी। इस पर जेडीयू के एमएलसी ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद जांच कमेटी ने अनुशासनहीनता मानते हुए उनकी सदस्यता समाप्त करने की अनुशंसा की थी।
इसके बाद सुनील सिंह ने इस फैसले को "तानाशाही" करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने दावा किया था कि बिना ठोस सबूतों के उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। विधान परिषद में उनकी सीट को खाली मानते हुए चुनाव आयोग ने उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर दी थी, जिसमें जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने नामांकन दाखिल किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह प्रक्रिया रद्द कर दी गई।
भविष्य में सावधानी बरतने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सुनील सिंह पिछले 7 महीनों से सदन से बाहर थे, इसे ही पर्याप्त दंड माना जाए। हालांकि, इस अवधि के लिए उन्हें कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन उनका कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें सभी सुविधाएं मिलेंगी। कोर्ट ने सुनील सिंह को भविष्य में ऐसे बयान देने और सदन में अनुशासन बनाए रखने की सख्त हिदायत दी है। इस फैसले के बाद बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं, क्योंकि आरजेडी को इससे निश्चित रूप से बल मिलेगा।