Delhi Election: सोनिया गांधी की गलती बनी वजह, कांग्रेस के राष्ट्रीय दर्जे पर छाया संकट, आखिर क्या है वजह?

Delhi Election: सोनिया गांधी की गलती बनी वजह, कांग्रेस के राष्ट्रीय दर्जे पर छाया संकट, आखिर क्या है वजह?
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

2003 के विधानसभा चुनाव में सोनिया गांधी की एक गलती के कारण कांग्रेस का राष्ट्रीय दर्जा खतरे में पड़ गया था। दिल्ली चुनावों के दौरान यह किस्सा सामने आया।

Delhi Election: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने में जुटे हैं। इस बीच, एक चुनावी किस्सा सामने आया है, जो 2003 के विधानसभा चुनावों से जुड़ा है। उस समय कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा संकट में पड़ गया था, और इसकी वजह बनी थी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक बड़ी गलती।

2003 के विधानसभा चुनाव में सोनिया गांधी की गलती

2003 में दिल्ली, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार थी। इस दौरान छत्तीसगढ़ में भाजपा के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव पर रिश्वत लेने का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री का पद छोड़ना पड़ा। इस मुद्दे को कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में बड़े स्तर पर उठाया।

आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के नेताओं द्वारा सरकारी विमान का प्रचार में इस्तेमाल करने पर नोटिस भेजा, जिससे कांग्रेस का राष्ट्रीय दर्जा खतरे में पड़ गया। सोनिया गांधी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अजीत जोगी को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी ठहराया गया। आयोग ने कांग्रेस से पूछा कि क्यों न पार्टी की राष्ट्रीय मान्यता रद्द कर दी जाए।

आयोग के नोटिस पर कांग्रेस का बचाव

कांग्रेस ने आयोग को स्पष्टीकरण दिया और अपने नेताओं का बचाव किया, जिसके बाद पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा बचाया जा सका।

किसकी शिकायत पर चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस?

विपक्षी दलों की ओर से आयोग को कई शिकायतें मिलीं, जिसके बाद चुनाव पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर सोनिया गांधी और अन्य नेताओं को नोटिस भेजा गया। रिपोर्ट में पाया गया था कि सोनिया गांधी ने 10-11 अक्टूबर को चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद कई बार सरकारी विमान का प्रचार में इस्तेमाल किया था।

आचार संहिता का महत्व और उल्लंघन के नियम

चुनाव आदर्श आचार संहिता के लागू होने के साथ ही सरकारी खर्च पर कोई आयोजन नहीं हो सकता, जो किसी पार्टी के लाभ में हो। इस दौरान मंत्री और मुख्यमंत्री कोई नई घोषणा या परियोजना की शुरुआत नहीं कर सकते। इस आचार संहिता का उल्लंघन गंभीर परिणाम ला सकता है, जैसा कि सोनिया गांधी के मामले में हुआ।

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