केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों में वृद्धि करते हुए उन्हें अधिकार प्रदान किया है कि वे अब अपने अधिकार क्षेत्र में प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय का गठन कर सकें। राष्ट्रपति ने इस संबंध में अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है और गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इस आशय की अधिसूचना जारी की। नई अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल अब इन निकायों में सदस्यों की नियुक्ति भी कर सकेंगे।
New Delhi: दिल्ली में 12 वार्ड समितियों के चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए उपराज्यपाल की शक्तियों में इजाफा कर दिया है। इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। अब उपराज्यपाल को दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली विद्युत नियामक आयोग जैसे किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड और आयोग के गठन का पूर्ण अधिकार दे दिया गया है।
राष्ट्रपति ने दिल्ली के लिए कुछ विशेष शक्तियां उपराज्यपाल को सौंप दी हैं। इस नोटिफिकेशन के तहत, उपराज्यपाल को संसद द्वारा अधिनियमित कानूनों के अंतर्गत दिल्ली के लिए किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय का गठन करने और उनके सदस्यों की नियुक्ति करने की शक्ति दी गई है।
MCD वार्ड समिति चुनाव
बता दें कि, उपराज्यपाल ने पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति कर चुनावों को आगे बढ़ाया। गजट अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने MCD वार्ड समिति चुनावों के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति कर एक बड़ा कदम उठाया है। इससे पहले मंगलवार देर शाम, मेयर शैली ओबेरॉय ने चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति करने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने कहा था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें 'अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया' में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं देती है। अब उपराज्यपाल ने आदेश जारी कर दिया है कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और स्थायी समिति के सदस्यों के पदों के लिए चुनाव निर्धारित कार्यक्रम (4 सितंबर) के अनुसार ही होंगे। इस आदेश के साथ, MCD वार्ड समिति चुनावों की प्रक्रिया अब आगे बढ़ेगी और निर्धारित तिथि पर चुनाव होंगे।
दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों पर अधिसूचना जारी
दिल्ली में राष्ट्रपति ने एक अधिसूचना जारी की है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी के साथ संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के दौरान जारी की गई है।
- इस अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने दिल्ली के उपराज्यपाल को निर्देश दिया है कि वे राष्ट्रपति के नियंत्रण में रहते हुए, उक्त अधिनियम की धारा 45डी के खंड (क) के अधीन राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग करें।
- ये शक्तियाँ निम्नलिखित कार्यों के लिए प्रयोग की जा सकती हैं-किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय के गठन के लिए, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाता हो।
- ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति के लिए।-यह अधिसूचना राष्ट्रपति के अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239 क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239 केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के तरीके को निर्दिष्ट करता है। इस अनुच्छेद के तहत, भारत के राष्ट्रपति को यह अधिकार होता है कि वह एक प्रशासक नियुक्त करें जो केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन संभाले। इस प्रशासक को अक्सर उपराज्यपाल या अन्य उपयुक्त पदनाम से नियुक्त किया जाता है।
1. केंद्र शासित प्रदेशों की प्रशासनिक व्यवस्था: अनुच्छेद 239 के तहत, राष्ट्रपति केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को नियंत्रित करने के लिए एक प्रशासक (जिन्हें उपराज्यपाल भी कहा जाता है) की नियुक्ति कर सकते हैं।
2. प्रशासक का नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा प्रशासक की नियुक्ति की जाती है और यह नियुक्ति राष्ट्रपति की प्राथमिकता और विवेकाधिकार पर आधारित होती है।
3. पार्लियामेंटरी कानूनों का प्रावधान: अनुच्छेद 239 के अनुसार, यदि संसद किसी कानून द्वारा अलग प्रावधान करती है, तो उस कानून के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन किया जाएगा।
इस अनुच्छेद के माध्यम से राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेशों की प्रशासनिक व्यवस्था को नियंत्रित करने का अधिकार प्राप्त होता है, जो कि केंद्रीय सरकार के अधीन होते हैं।