दिल्ली की 'जहरीली हवा' पर केंद्र सरकार का कड़ा कदम, पंजाब और हरियाणा को दी गई चेतावनी

दिल्ली की 'जहरीली हवा' पर केंद्र सरकार का कड़ा कदम, पंजाब और हरियाणा को दी गई चेतावनी
Last Updated: 12 घंटा पहले

कृषि भवन, पराली जलाने से होने वाली वायु गुणवत्ता की समस्या पर शनिवार (26 अक्टूबर) को केंद्र ने कृषि भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक में पराली जलाने से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर गहन चर्चा की गई।

नई दिल्ली: दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना है। शनिवार, 26 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों को सलाह दी है कि वे पराली जलाने वाले हॉटस्पॉट जिलों में सभी आवश्यक वस्तुओं के लिए एक रणनीतिक योजना बनाएं और बिगड़ते हालात को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास करें।

कृषि भवन में आयोजित एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में अधिकारियों ने चिंता जताई कि कटाई के कामों की गति बढ़ने के साथ-साथ पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं। हालांकि, इस साल अब तक पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में कमी आई है। इस कमी का कारण पंजाब में धीमी फसल कटाई और मिल मालिकों द्वारा भंडारण और धान की गुणवत्ता से संबंधित समस्याएं बताई जा रही हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बैठक में वर्चुअली लिया हिस्सा

बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्चुअली भाग लिया और बताया कि 2023 की इसी अवधि की तुलना में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 35% और हरियाणा में 21% की कमी आई है। उन्होंने यह भी कहा कि धान की पराली के इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि इन घटनाओं की संख्या को और कम किया जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सभी के प्रयासों के कारण साल 2017 की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 51% की कमी आई है। उन्होंने राज्यों से अपील की कि वे मिशन मोड में बायो-डीकंपोजर का उपयोग बढ़ाएं।

बैठक में पटाखों के उपयोग को लेकर भी चर्चा हुई, क्योंकि दिवाली के बाद हर साल दिल्ली और अन्य राज्यों की वायु गुणवत्ता खराब होती है। प्रतिभागियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन करते हुए सक्रिय उपायों और जन जागरूकता पैदा करने पर जोर दिया।

कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बैठक में प्रस्तुत किए महत्वपूर्ण सुझाव

बैठक के दौरान कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष केंद्र सरकार ने पंजाब को धान की पराली प्रबंधन के लिए 150 करोड़ रुपए, हरियाणा को 75 करोड़ रुपए, और उत्तर प्रदेश को 50 करोड़ रुपए जारी किए हैं। इसके अलावा, 'कृषि विज्ञान केंद्रों' को 8 करोड़ रुपए से अधिक की राशि भी दी गई है।

उन्होंने यह भी बताया कि 2024-25 के लिए इस उद्देश्य के लिए कुल 600 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है, जिससे राज्यों को पराली प्रबंधन के उपायों को लागू करने में सहायता मिलेगी।

किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए तैयार की नई योजना

हरियाणा के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में किसानों को बायोमास और फसल विविधीकरण के माध्यम से एक्स-सीटू/इन-सीटू प्रबंधन की तकनीकें प्रदान की जा रही हैं।

पंजाब ने फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों का उपयोग करते हुए इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन के तहत 11.5 मिलियन टन धान की पराली का प्रबंधन करने का संकल्प लिया है। इसके अतिरिक्त, शेष पराली को एक्स-सीटू विधियों के माध्यम से संभाला जाएगा। इस प्रयास से केवल वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि यह किसानों की आय और फसल उत्पादन को भी बढ़ाने में मदद करेगा।

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