विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफाएं और महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित विभिन्न अन्य स्मारक पिछले मानसून में कम बारिश होने के कारण सूखे पड़े हैं। पानी की कमी के कारण से इन स्थानों पर पानी के टैंकरों से आपूर्ति करवाई जा रही है।
संभाजीनगर: पिछले मानसून में कम बारिश होने के कारण महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफाएं और अन्य स्मारक पानी की आपूर्ति के लिए पूर्णतः पानी के ‘टैंकर’ पर निर्भर हो गए हैं। इसके लिए अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने subkuz.com टीम को बताया कि छत्रपति संभाजीनगर में पिछले मानसून में केवल 527.10 mm बारिश हुई थी, जबकि इस अवधि के तहत औसत वर्षा 637.50 mm होती है।
स्मारकों में बने जलस्रोत सूखे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के एक अधिकारी ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि जितनी हमें उम्मीद थी बारिश उससे कम हुई। उसी के अनुसार, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल एलोरा गुफाएं, बीबी का मकबरा और औरंगाबाद गुफाओं जैसे कुछ महत्वपूर्ण स्मारकों के परिसर में बने जलस्रोत सूख गए हैं।
उन्होंने कहा कि ये स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन अब पानी की आपूर्ति के लिए टैंकरों पर निर्भर हो गए हैं। ASI के अधिकारी ने कहा, "एलोरा गुफा के परिसर में पीने के लिए, बागवानी और साफ सफाई के लिए हर दिन पानी के दो टैंकरों की जरूरत होती है।
हर दिन दो टैंकरों की आवश्यकता
उन्होंने आगे कहा कि, स्मारकों में शामिल 'बीबी का मकबरा' के लिए 5,000 लीटर के कम से कम दो टैंकर और औरंगाबाद गुफाओं के लिए हर दूसरे दिन एक टैंकर की आवश्यकता होती है। जहां पिछले मानसून यानि नवंबर में पानी की कमी की वजह से इनके जल स्रोत सूख गए थे।
अधिकारी ने बताया कि कभी-कभी यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने पर 'बीबी का मकबरा' में तीसरे पानी के टैंकर की भी आवश्यकता पड़ती है। बताया कि वहां एक अलग टैंक को शुद्धिकरण प्रणाली से जोड़ा गया है। जिस से पानी का सही इस्तेमाल किया जा सके। इसके अलावा टैंक को भरने और इसका पानी विजिटरों के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं।