जिस कंपनी को मिलेगा ठेका, वही करेगी प्रोजेक्ट को मेन्टेन
सीवरेज सिस्टम के निर्माण के लिए 30 माह की अवधि निर्धारित की गयी हैं और इसी समयावधि में इस कार्य को पूर्ण करना होगा | वोकेशनल स्कूल और पंपिंग स्टेशन कहां बनाए जाएंगे, इन सबका निर्धारण पहले ही किया जा चुका है। एनओसी की जो भी प्रक्रिया हैं वह पूरी हो चुकी है | कंपनी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कंपनी या एजेंसी को 15 साल तक प्रोजेक्ट के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी संभालनी होगी | वर्तमान में दामोदर नदी में प्रतिदिन 153 एमएलडी गंदा पानी छोड़ा जाता है। अपशिष्ट जल उपचार परियोजना के बाद, दामोदर नदी में प्रतिदिन 192 एमएलडी स्वच्छ पानी की आपूर्ति की जाएगी। जिसके की वातावरण में भी काफी सुधार देखने को मिलेगा |
2041 को ध्यान में रख की गयी तैयार डीपीआर
इस डीपीआर को निगम के क्षेत्र की जनसंख्या को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। क्षेत्र की वर्तमान जनसंख्या 13,00,000 है। पहले चरण में तालाब और बड़े नाले से बहने वाले गंदे पानी को एसडीपी और पंपिंग स्टेशन तक पहुंचाया जायेगा, जहां से इसे शुद्ध करके दामोदर नदी में भेजा जायेगा |
दूसरे चरण में 1200 करोड़ का हो सकता हैं व्यय
दूसरे चरण में, घरों से निकलने वाले अपशिष्ट और शौचालयों के गंदे पानी को भूमिगत पाइपों के माध्यम से उपचार संयंत्र में भेजा जाएगा। जिसके बाद इसको उपचार सयंत्रो के माध्यम से उसमे से हानिकारक पदार्थो को अलग किया जायेगा | दूसरे चरण में सभी 55 जिलों की सभी बस्तियों को शामिल किया जायेगा। दूसरे चरण पर कम से कम 1200 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है |