केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के भीतर कुमारी सैलजा का अपमान हुआ है, जो गलत है। उन्होंने अनुसूचित जाति समाज के किसी भी व्यक्ति का अपमान करने को अनुचित बताया। जब उनसे पूछा गया कि क्या सैलजा और रणदीप सुरजेवाला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे, तो उन्होंने कहा कि वे इस संभावना से इनकार नहीं कर सकते।
चंडीगढ़: हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस में आंतरिक कलह बढ़ रही है। इसी संबंध में केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सैलजा का अपमान हुआ है, जो अनुसूचित जाति समाज के लिए अपमानजनक है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सैलजा और सुरजेवाला भाजपा में शामिल हो सकते हैं, तो उन्होंने संभावना से इनकार नहीं किया।
कुमारी सैलजा भाजपा में होगी शामिल - मनोहर लाल
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कांग्रेस में कुमारी सैलजा के अपमान को लेकर निशाना साधा और अनुसूचित जाति समाज के सम्मान पर जोर दिया। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सैलजा को अपमानित किया गया, जो गलत है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सैलजा और रणदीप सुरजेवाला भाजपा में शामिल होंगे, तो उन्होंने कहा कि संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। साथ ही, सैलजा को भाजपा में शामिल होने का संकेत देते हुए समर्थन भी जताया।
हुड्डा और सैलजा के बीच चल रहा मनमुटाव
हरियाणा कांग्रेस में टिकट आवंटन को लेकर गहरे मतभेद उभर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला की अनदेखी से पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ गया है। 72 टिकटों में से अधिकांश पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों को मिले हैं, जबकि सैलजा को सिर्फ 10 टिकट संतोष करना पड़ा है। इस असंतुलन से दोनों गुटों में असंतोष और तनाव की स्थिति देखी जा रही है, जिससे कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर असर पड़ सकता हैं।
सैलजा ने चुनाव प्रचार से बनाई दूरी
कांग्रेस में टिकटों के बंटवारे को लेकर इस तरह की नाराजगी अक्सर देखने को मिलती है। रणदीप सुरजेवाला के बेटे को सिर्फ दो टिकट मिलना और कुमारी सैलजा का असंतोष, यह दर्शाता है कि पार्टी में आंतरिक मतभेद बढ़ रहे हैं। खासकर जब हाईकमान की पसंद से ज्यादा टिकट दिए गए हैं। यह स्थिति संगठन के लिए चुनौती बन सकती है, क्योंकि इससे पार्टी के भीतर असंतोष और विभाजन की भावना जन्म ले सकती है। कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने के बावजूद सैलजा और सुरजेवाला का मंच पर न होना भी इस असहमति को और बढ़ाता है। इससे यह स्पष्ट होता है
कि पार्टी में कुछ नेताओं की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा जा रहा, जो आगे चलकर चुनावी रणनीति पर प्रभाव डाल सकता हैं।