हिमाचल के बद्दी में पंजाब की नारकोटिक्स और स्पेशल टास्क फोर्स को बड़ी कामयाबी मिली। बताया की टीम ने कंपनी पर छापेमारी करके एल्प्राजोलम नशीली दवा की 1.95 करोड़ गोलियां जब्त की हैं।
सोलन: नशा सौदागरों की जड़ें तलाशते हुए हिमाचल के बद्दी पहुंची पंजाब की नारकोटिक्स और एसटीएफ टीम ने छापेमारी की है। टीम ने कठिन प्रयास के बाद लगातार एक ही मालिक के सहयोगी उद्योग बायोजेनेटिक्स ड्रग लिमिटेड से 1.95 करोड़ एल्प्राजोलम की गोलियों को जब्त किया है। इसके साथ ही टीम ने 42 किलो एल्प्राजोलम पाउडर भी बरामद किया, जिससे लगभग 8.10 करोड़ गोलियां बन सकती थी।
पंजाब की टीम ने खुलासा करते हुए Subkuz.com को बताया कि बायोजेनेटिक्स ड्रग उद्योग ने लगभग 60 करोड़ एल्प्राजोलम की गोलियां बनाई हैं और देश के कोने-कोने में इन गोलियों की सप्लाई की है। पंजाब की टीम मोहाली में दर्ज एनडी एंड पीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले के कार्रवाई करते हुए तार से तर जोड़ते हिमाचल पहुंच गई थी. नारकोटिक्स की टीम ने छापेमारी के तहत बद्दी के दो उद्योगों से नशीली दवाओं की बड़ी खेप बरामद की हैं।
दवा एजेंसियों के नाम पर चल रहा था ये मौत का बाजार
नारकोटिक्स की टीम ने जांच के बाद मीडिया को बताया कि बद्दी के स्माइलैक्स समूह में निर्मित दवाओं को देशभर में भेजने के लिए छह कंपनियों के साथ समझौता किया गया है। जानकारी मिलने के बाद सहारनपुर स्थित श्रीश्याम कंपनी के कार्यालय पर जब दबिश दी गई तो वहां पर दवा एजेंसी के नाम पर कार बनाने का बाजार चल रहा था, जबकि यहां पर किसी भी तरह का कोई भी गोदाम या दवाएं उपलब्ध नहीं मिली।
उद्योग के नाम जारी किया नोटिस
हिमाचल के राज्य दवा नियंत्रक मनीष कुमार कपूर ने कहां कि स्माइलैक्स फार्माकैम और बायोजेनेटिक्स उद्योग को मंगलवार (14 मई) तक जवाब देने का नोटिस जारी किया गया है। अगर यह उद्योग नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ ड्रग एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। पंजाब स्पेशल टास्क फोर्स ने बायोजेनेटिक्स ड्रग उद्योग में कफ सिरप में इस्तेमाल होने वाला 400 किलो कोडिन पाउडर जब्त कर लिया है। इसकी भी तहकीकात की जाएगी।
कंपनी के मैनेजर और मालिक फरार
एसटीएफ पंजाब के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस वविंद्र कुमार महाजन ने मीडिया को बताया कि दोनों उद्योगों को चलाने वाले मैनेजर और उद्योग मालिक मामले के बाद से शहर से रफू चक्कर हो गए हैं। जांच में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि उद्योग में तैयार की जाने वाली एक भी नशीली दवा सही रास्ते से जरुरत मंद मरीज के पास नहीं पहुंची है, बल्कि यह दवाइयां सीधे तौर पर ड्रग पेडलरों के पास पहुंचाई गई है। उद्योग प्रबंधकों की ओर से पुलिस को गुमराह करने के लिए फर्जी सप्लाई नेटवर्क तैयार किया गया था, जिसमें आपूर्ति के तौर पर महाराष्ट्र की दिखाई जाती थी, लेकिन उन दवाइयों सीधा नशा सौदागरों के पास पहुंचाया जाता था।