विदेश मंत्री एस. जयशंकर की जर्मनी के साथ द्विपक्षीय साझेदारी पर हुई व्यापक चर्चा से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग के कई महत्वपूर्ण आयाम खुल सकते हैं। चर्चा में रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और सतत विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूत करने की संभावनाओं पर ध्यान दिया गया।
बर्लिन: जर्मनी अब भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को लेकर काफी इच्छुक दिखाई दे रहा है। भारत की लगातार बढ़ती सामरिक और आर्थिक ताकत ने इसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका में स्थापित किया है और यह विकास जर्मनी सहित कई देशों के लिए भारत के साथ गहरे संबंध स्थापित करने का आकर्षण बढ़ा रहा है। भारत और जर्मनी के बीच पहले से ही आर्थिक और तकनीकी सहयोग का गहरा संबंध है, लेकिन इन चर्चाओं के बाद इसे और अधिक रणनीतिक स्तर पर ले जाने की संभावना है। जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और उसकी तकनीकी विशेषज्ञता भारत की आर्थिक और औद्योगिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं।
जर्मनी को भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी से कई लाभ
* आर्थिक साझेदारी: भारत एक उभरता हुआ आर्थिक महाशक्ति है और जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। विनिर्माण, हरित ऊर्जा और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के अवसर तेजी से बढ़ सकते हैं।
* प्रौद्योगिकी और नवाचार: जर्मनी तकनीकी नवाचार में अग्रणी है, जबकि भारत के पास एक विशाल युवा कार्यबल और तेजी से उभरता हुआ स्टार्टअप इकोसिस्टम है। इस साझेदारी से तकनीकी सहयोग और विकास के नए रास्ते खुल सकते हैं, जिसमे विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमोटिव उद्योग और हरित प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
* रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत के साथ सामरिक साझेदारी जर्मनी को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने में मदद कर सकती है। भारत के लिए भी यह साझेदारी महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि जर्मनी से आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी और उपकरणों का आदान-प्रदान हो सकता हैं।
* जलवायु परिवर्तन और सतत विकास: भारत और जर्मनी दोनों ही हरित ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता पर काम कर रहे हैं। इस सहयोग से हरित प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन से निपटने में दोनों देशों को फायदा हो सकता हैं।
जर्मनी में माइकल रोथ से मिले भारत के विदेश मंत्री
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की जर्मनी यात्रा के दौरान संसद में विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल रोथ से मुलाकात ने भारत-जर्मनी संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस बातचीत में दोनों देशों ने मौजूदा वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया और द्विपक्षीय सहयोग के नए रास्तों की संभावनाओं पर चर्चा की, जिससे रणनीतिक साझेदारी को बल मिलता दिख रहा है। जयशंकर की यह यात्रा तीन देशों के दौरे का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने सऊदी अरब में 'भारत-खाड़ी सहयोग परिषद मंत्रिस्तरीय बैठक' में भाग लेने के बाद जर्मनी का दौरा किया।
भारत और जर्मनी के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं, जैसे कि प्रौद्योगिकी, रक्षा, व्यापार, जलवायु परिवर्तन और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा। यह बैठक इस बात का संकेत है कि जर्मनी भी भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में गंभीर है, खासकर वैश्विक चुनौतियों के समाधान और दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए।
एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दी जानकारी
विदेश मंत्री एस जयशंकर की जर्मनी यात्रा ने भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक सहयोग की संभावनाओं को और अधिक उजागर किया है। जयशंकर ने जर्मनी में विभिन्न बैठकों के दौरान मौजूदा वैश्विक चुनौतियों और द्विपक्षीय सहयोग पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने जर्मनी की संसद के विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल रोथ से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा कि उन्हें रोथ से मिलकर प्रसन्नता हुई और दोनों ने वैश्विक चुनौतियों और भारत-जर्मनी सहयोग पर चर्चा की। इसके साथ ही जयशंकर ने बर्लिन में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के आयोजन में विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति विशेषज्ञों से भी बातचीत की, जिसमें बदलती वैश्विक व्यवस्था, सुरक्षा चुनौतियां और भारत-जर्मनी रणनीतिक समानता पर विमर्श हुआ।
जयशंकर ने जर्मनी की संसद के अन्य सदस्यों से भी मुलाकात की और समकालीन वैश्विक मुद्दों पर उनके विचारों की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत-जर्मनी संबंधों को मजबूत करने में जर्मनी के समर्थन को वह अत्यधिक महत्व देते हैं। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच रणनीतिक और कूटनीतिक संबंधों में और प्रगाढ़ता आने की संभावना हैं।