Justice Joymalya Bagchi: सुप्रीम कोर्ट के 33वें जज बने जस्टिस जॉयमाला बागची, जानें कब संभालेंगे CJI पद

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कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस जॉयमाला बागची सुप्रीम कोर्ट के 33वें जज बने। सीजेआई संजीव खन्ना ने उन्हें शपथ दिलाई। 10 मार्च को केंद्र ने उनके नाम की मंजूरी दी थी।

Justice Joymalya Bagchi: कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जॉयमाला बागची को सुप्रीम कोर्ट के 33वें न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित एक औपचारिक समारोह में उन्हें शपथ ग्रहण करवाई। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश भी उपस्थित रहे।

सुप्रीम कोर्ट में अब 33 न्यायाधीश

जस्टिस बागची के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने के बाद अब शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की कुल संख्या 33 हो गई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में अधिकतम 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है। फिलहाल एक पद अभी भी रिक्त है।

2031 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे

न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची का कार्यकाल छह साल से अधिक का होगा। वह न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पद संभालेंगे। जस्टिस विश्वनाथन 25 मई 2031 को सेवानिवृत्त होंगे, जिसके बाद जस्टिस बागची पांच महीने तक इस पद पर रहेंगे।

केंद्र सरकार ने दी थी मंजूरी

केंद्र सरकार ने 10 मार्च 2025 को जस्टिस बागची की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को मंजूरी दी थी। इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 6 मार्च को उनके नाम की सिफारिश की थी। इस कॉलेजियम में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ शामिल थे।

कॉलेजियम ने क्यों किया जस्टिस बागची का चयन?

कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में बताया कि 18 जुलाई 2013 को न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर के सेवानिवृत्त होने के बाद से कलकत्ता हाई कोर्ट के किसी भी न्यायाधीश को भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त नहीं किया गया है। जस्टिस बागची को 27 जून 2011 को कलकत्ता हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 4 जनवरी 2021 को उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था।

13 वर्षों का न्यायिक अनुभव

जस्टिस जॉयमाला बागची का कानूनी करियर प्रभावशाली रहा है। उन्हें 8 नवंबर 2021 को दोबारा कलकत्ता हाई कोर्ट भेजा गया था और तब से वह वहीं कार्यरत थे। हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने 13 वर्षों से अधिक समय तक न्यायपालिका में योगदान दिया है। उनकी नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट को एक अनुभवी और योग्य न्यायाधीश मिला है, जो आने वाले वर्षों में भारतीय न्यायपालिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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