मुंबई की बांद्रा पूर्व सीट पर शिवसेना उद्धव गुट ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। हालांकि, इस बीच कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हो पाया है। यह स्थिति आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच समन्वय और सहयोग की आवश्यकता होगी ताकि वे मिलकर प्रभावी ढंग से चुनावी मैदान में उतर सकें।
मुंबई: विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही महाराष्ट्र की राजनीति गरमाने लगी है। विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के दो प्रमुख घटक दलों, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), के बीच ठन गई है। हालांकि, महाविकास अघाड़ी में अभी तक सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है, लेकिन दोनों दल मुंबई की बांद्रा (पूर्व) सीट को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। यह स्थिति न केवल दोनों दलों के बीच के संबंधों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि चुनावी रणनीति और समन्वय में भी चुनौतियाँ पैदा कर सकती हैं।
उद्धव की सेना ने मैदान में उतारा उम्मीदवार
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने मुंबई की बांद्रा (पूर्व) विधानसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है। वरुण सरदेसाई इस सीट से चुनाव लड़ेंगे। वरुण सरदेसाई आदित्य ठाकरे के मौसेरे भाई हैं और पिछले 14 साल से युवा सेना में काम कर रहे हैं। उन्हें आदित्य ठाकरे के बेहद करीबी लोगों में माना जाता है, जिससे यह साफ होता है कि शिवसेना का यह चुनावी कदम पार्टी के भीतर के रिश्तों को मजबूत करने के साथ-साथ एक मजबूत युवा चेहरे को मैदान में उतारने की कोशिश हैं।
कांग्रेस के कई नेता हुए नाराज
शिवसेना ठाकरे की ओर से वरुण सरदेसाई के नाम का ऐलान करने के बाद कांग्रेस के कई नेता नाराज हो गए हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली थी, जहां कांग्रेस के जीशान सिद्दीकी ने जीत हासिल की थी और वे मौजूदा विधायक हैं। ठाकरे सेना का कहना है कि उन्होंने अपने कोटे की चांदीवली सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी है, इसलिए कांग्रेस के कोटे की बांद्रा (पूर्व) सीट पर वरुण सरदेसाई चुनाव लड़ेंगे।
बांद्रा (पूर्व) मुस्लिम बहुल इलाका है, और यहां के चुनावी समीकरण को ध्यान में रखते हुए यह सीट महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि, ठाकरे सेना के एकतरफा ऐलान से कांग्रेस के कई नेता नाराज हैं, क्योंकि वे भी इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं।