पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। उनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अमूल्य रहेगा।
Manmohan Singh Funeral: पूर्व प्रधानमंत्री और देश के आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 27 दिसंबर को दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी, जबकि उनके परिवार के अन्य सदस्य और करीबी लोग भी इस श्रद्धांजलि के मौके पर उपस्थित थे। मनमोहन सिंह के निधन के बाद, पूरे देश में शोक की लहर है और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न वर्गों के लोग उमड़े।
कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक अंतिम यात्रा
मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर उनके आवास से सुबह करीब नौ बजे कांग्रेस मुख्यालय लाया गया। यहां पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा’ और ‘मनमोहन सिंह अमर रहें’ जैसे नारों के साथ अंतिम यात्रा की शुरुआत की। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कड़ी धूप और गर्मी में एकजुट होकर उनका अंतिम दर्शन किया।
कांग्रेस मुख्यालय में श्रद्धांजलि सभा
कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर और तीनों बेटियां भी मौजूद थीं। गुरशरण कौर ने पुष्प अर्पित कर अपने पति को अंतिम विदाई दी। राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के परिवार को ढांढस बंधाया और उनके साथ पार्टी मुख्यालय के भीतर दाखिल हुए। मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर और परिवार के अन्य सदस्य पूरी श्रद्धा के साथ इस दुखद घड़ी में उनके साथ थे।
मनमोहन सिंह के योगदान को किया याद
मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक था। वह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और उनके नेतृत्व में कई अहम सुधार और योजनाएं लागू हुईं।
उनका सबसे बड़ा योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करना था। उनके समय में सूचना का अधिकार (RTI), शिक्षा का अधिकार (RTE) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी योजनाएं शुरू हुईं।
मनमोहन सिंह 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री बने थे और तब उन्होंने भारत के आर्थिक ढांचे को मजबूती प्रदान की थी। उनके नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक स्तर पर मजबूती पकड़ी, जिससे आज भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित हुआ है। उनका योगदान भारतीय राजनीति में अमूल्य रहेगा।