MP News: 89वें दिन ऐतिहासिक भोजशाला में जारी रहा ASI सर्वे, 27 जून तक चलेगा सर्वे

MP News: 89वें दिन ऐतिहासिक भोजशाला में जारी रहा ASI सर्वे, 27 जून तक चलेगा सर्वे
Last Updated: 19 जून 2024

मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला में 89वें दिन भी भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) टीम द्वारा सर्वे जारी रहा। यहां के उत्तरी भाग में मंगलवार को सर्वे के दौरान ASI की टीम को स्तंभों और दीवार के टुकड़े के रूम में पांच पाषाण अवशेष मिले हैं।

Bhojshala Survey: मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के उत्तरी भाग में मंगलवार 18 जून को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने सर्वे किया। उनके इस सर्वे का 89वां दिन पूरा हो चुका है। इस दौरान सर्वे में 5 पाषाण अवशेष मिले, जो स्तंभों और दीवार के टुकड़ों के रूम में हैं। भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल सर्वे के दौरान वहां मौजूद रहे।

भोजशाला सर्वे का 89 वां दिन

उल्लेखनीय है कि सर्वे का यह 89वां दिन था। इस दौरान ASI की टीम ने भोजशाला सहित आसपास केप्रिसार में काम किया। बताया जा रहा है कि इस ऐतिहासिक भजशाला के गौरव की पुनर्स्थापना को लेकर भोज उत्सव समिति के तहत प्रति मंगलवार सत्याग्रह किया जाता है। आज इस समिति के बाद बताया कि इस सर्वे में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 1800 अवशेष मिल चुके हैं। इनमें लगभग 550 अवशेष बड़े आकार के हैं और 30 मूर्तियां भी मिली हैं, जिनमें अधिकतर खंडित हुई मिली हैं।

27 जून तक चलेगा सर्वे

subkuz.com को मिली जानकारी के अनुसार, भोजशाला में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे 22 मार्च से शुरू हुआ था, जो निरंतर जारी है। आज 19 जून को लगातार जारी सर्वे के तीन महीने पुरे हो गए हैं। इसी प्रकार यह सर्वे 27 जून तक चलेगा। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में मामले की सुनवाई 4 जुलाई, 2024 को होनी है। इसके लिए एएसआइ (ASI) टीम ने कागज कार्रवाई का कार्य में भी तेजी बढ़ा दी है।

सर्वे से पहले पूजा-अर्चना

बता दें कि सर्वे टीम के साथ मौजूद हिन्दू पक्षकार और भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने subkuz.com टीम को बताया कि, मंगलवार को सर्वे के सौरन भोजशाला में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात की गई। उस समय दर्शन-पूजन के लिए राजा भोज कल्याण जन कल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र सिंह पंवार भी वहां पहुंचे।

बता दें कि उन्होंने परमार-पंवार राजवंश पर एक पुस्तक भी लिखी जो 12 वर्षो के शोध के बाद हुई है। वहीं पंवार ने कहा कि राजा भोज के काल में भोजशाला की संस्कृत महाविद्यालय के रूप में प्रसिद्धि थी और यह एक संस्कृत महाविद्यालय था।

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