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National Herald Case: हाईकोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में स्वामी, सोनिया और राहुल से मांगा लिखित जवाब, सुनवाई के लिए दी अगली तारीख तारीख, जानें...

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दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर संक्षिप्त नोट दाखिल करने को कहां है। कोर्ट ने इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया है। मामले को लेकर अगली बहस 29 अक्टूबर को होगी।

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को अपना संक्षिप्त जवाब लिखित रूप में दाखिल करने का निर्देश दिया है। बता दें अदालत ने चार सप्ताह के अंदर-अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई को अगली तारीख तक स्थगित कर दी हैं।

जानकारी के मुताबिक अदालत पूर्व राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने हेराल्ड मामले में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सबूत पेश करने की मांग करते हुए समय मांगा हैं।

सुनवाई की अगली तारीख 29 अक्टूबर

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहां कि जवाब दाखिल करने के बाद कुल 15,000 रुपये की लागत के साथ लिखित दलीलें ही स्वीकार की जाएंगी। अदालत ने इस मामले को 29 अक्टूबर को बहस के लिए सूचीबद्ध किया है। दिल्ली हाईकोर्ट सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें नेशनल हेराल्ड मामले में निचली अदालत के समक्ष साक्ष्य पेश करने की मांग की गई थी। इस मामले में सोनिया गांधी और अन्य आरोपी शामिल हैं।

अगली सुनवाई तक नेशनल हेराल्ड मामले पर लगी रोक

नेशनल हेराल्ड मामले पर 22 फरवरी, 2021 को सोनिया और राहुल गांधी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन कुमारी दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडिया (YI) को नोटिस जारी कर स्वामी की याचिका पर उनका पक्ष मांगा और मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। अदालत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहां कि मामले की अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक लगी रहेगी।

कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता आर. एस. चीमा और तरन्नुम चीमा ने किया हैं। स्वामी ने 11 फरवरी, 2021 के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें गांधी परिवार और मामले में अन्य आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए सबूत पेश करने की उनकी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया गया था।

 

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