नई दिल्ली विधानसभा सीट इस समय राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बनी हुई है। वर्तमान में इस सीट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विधायक हैं। हालांकि, इस बार उनका सामना त्रिकोणीय मुकाबले से होने की संभावना है, जिसमें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस ने इस सीट से दिवंगत शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि भाजपा ने प्रवेश वर्मा को इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा है।
नई दिल्ली सीट पर जबर्दस्त राजनीतिक टकराव
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर राजनीतिक टकराव का लंबा इतिहास रहा है। पिछली बार 2013 और 2015 में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया था। इस बार कांग्रेस के लिए यह चुनाव केवल एक राजनीतिक मुकाबला नहीं है, बल्कि संदीप दीक्षित के लिए यह अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को पुनः प्राप्त करने और केजरीवाल के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। वहीं, भाजपा ने भी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है।
केजरीवाल को अपने वादों पर कायम रहना चाहिए: वर्मा
पूर्व भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कांग्रेस और केजरीवाल पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने यहां संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है, जो शीला दीक्षित के बेटे हैं और इस सीट पर उनके लिए एक बड़ा चुनौती है। लेकिन केजरीवाल के मामले में यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। अगर वह वाकई यहां से चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें अपनी बातों पर कायम रहना चाहिए और भागने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।" वर्मा ने मनीष सिसोदिया का उदाहरण दिया, जिन्होंने अपनी सीट छोड़कर जंगपुरा से चुनाव लड़ने की तैयारी की थी।
रोहिंग्या और बांग्लादेशी मतदाताओं की पहचान पर जोर
प्रवेश वर्मा ने दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी मतदाताओं पर भी चिंता जताई है। उन्होंने इसे राजनीति से परे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताया। वर्मा ने कहा, "दिल्ली में कई रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं, जो चुनावी प्रक्रिया में भी भाग लेते हैं। दिल्ली पुलिस जब उनके खिलाफ कार्रवाई करती है तो आम आदमी पार्टी इसके खिलाफ खड़ी हो जाती है। अब समय आ गया है कि इन फर्जी वोटरों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।" उन्होंने दिल्ली पुलिस से आग्रह किया कि वह इस गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करें और शहर को सुरक्षित बनाए रखें।
केजरीवाल के लिए यह चुनौतीपूर्ण चुनाव
अरविंद केजरीवाल, जो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जाने जाते हैं, इस चुनाव में एक नई चुनौती का सामना करेंगे। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही उनकी मुख्यमंत्री की स्थिति को चुनौती देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हालांकि, दिल्ली में उनके कार्यकाल में किए गए कार्यों को लेकर जनमानस में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी सीट बरकरार रखने में सफल होते हैं या नहीं।
नतीजों का इंतजार
नई दिल्ली सीट पर होने वाला यह त्रिकोणीय मुकाबला आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में बड़ा राजनीतिक झटका दे सकता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं, वहीं अरविंद केजरीवाल के लिए यह चुनाव सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने का अवसर है। अब सबकी निगाहें आगामी चुनाव परिणामों पर हैं, जो दिल्ली की राजनीति का नया दिशा तय करेंगे।