देश में नए आपराधिक कानून को 01 जुलाई 2024 से लागू कर दिया जाएगा। बता दें कि पिछले साल इन नए कानून को संसद में पारित किया गया था और उन्होंने ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता व दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के जैसा माना गया है। तीनों नए कानून का मुख्य और प्राथमिक उद्देश्य न्याय प्रणाली को सभी के लिए सहज और सुलभ बनाना हैं।
नई दिल्ली: आगामी एक जुलाई 2024 देश में तीन अहम कानून भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 को दंड सहिता में शामिल कर लिया जाएगा। भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए ये तीनो कानून एक जुलाई से देश में लागु हो जायेंगे। बता दें कि इन तीनों कानूनों के तहत जीरो एफआइआर, आनलाइन पुलिस शिकायत, इलेक्ट्रानिक माध्यमों से समन भेजना और घृणित अपराधों में क्राइम सीन की वीडियोग्राफी करना अनिवार्य हो जाएगा।
न्याय प्रणाली को सहज और सुलभ बनाने की ओर कदम
अधिकारी ने बताया कि नए कानूनों में जांच और न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी माध्यम को बढ़ावा देने के लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता देने की व्यवस्था की है। देश के सभी पुलिस स्टेशन में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) एप्लिकेशन के तहत केस दर्ज किए जाएंगे। जानकआरी के मुताबिक अगले महीने की शुरुआत से लागू होने वाले तीनों नए आपराधिक कानूनों के लिए बुनियादी स्तर पर 40 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया, इसमें 5.65 लाख पुलिस कर्मी और जेल अधिकारी हैं।
नए कानून में शामिल 10 अहम प्रविधान
1. नए कानून में एक व्यक्ति पुलिस स्टेशन में उपस्थित हुए बिना भी इलेक्ट्रानिक माध्यमों (इंटरनेट सिस्टम) से घटना की रिपोर्ट कर सकता है। इससे पुलिस को भी सही और स्पष्ट कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।
2. नए कानून में जीरो एफआइआर प्रक्रिया की शुरुआत की गई है। अब पीडि़त किसी भी थाना क्षेत्र में अपनी एफआइआर ऑनलाइन दर्ज करा सकता है। पीडि़त को उस दौरान एफआइआर की निशुल्क कॉपी भी दी जाएगी।
3. किसी मामले की सशक्त जांच के लिए या गंभीर आपराधिक मामलों में सुबूत जुटाने के लिए और क्राइम सीन पर फारेंसिक विशेषज्ञों का पुलिस के साथ जाना अनिवार्य है। इसके साथ ही सुबूत एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करना भी अनिवार्य होगा।
4. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ किसी अपराध में तहकीकात कर जांच एजेंसियों को दो महीने के अंदर रिपोर्ट करनी होगी। 90 दिनों के अंदर पीडि़तों को केस से बरी करना होगा।
5. अपराध के शिकार हुए महिला और बच्चों को सभी निजी या अन्य अस्पतालों में फर्स्ट एड या पूर्ण इलाज निशुल्क मिलने की गारंटी होगी। चुनौती भरी परिस्थितियों में भी पीडि़त जल्द से जल्द ठीक हो सकेंगे।
6. गवाहों की सुरक्षा के लिए और उनके सहयोग के लिए सभी राज्य सरकारें विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम लागू करेंगी। इसके अलावा दुष्कर्म का शिकार हुई पीडि़ताओं को आडियो-वीडियो कॉल के माध्यम से पुलिस के समक्ष बयान दर्ज करने की भी छूट मिलेगी।
7. नए कानून में मामूली अपराधों के लिए दंडस्वरूप सामुदायिक सेवा की विधा शुरू की जा रही है। समाज के लिए सकारात्मक योगदान देकर दोषी अपनी गलतियों को सुधार सकें इसलिए ऐसा प्रयास किया जा रहा हैं।
8. मामले की सुनवाई में देरी से बचने और न्याय की जल्दी बहाली के लिए कोई अदालत किसी मामले को अधिकतम दो बार ही स्थगित कर सकेगी। सभी कानूनी कार्यवाही इलेक्ट्रानिक माध्यमों से होगी।
9. पीड़ित महिला की अदालती सुनवाई महिला मजिस्ट्रेट को करनी होगी। अन्यथा संवेदनशील मामले में किसी महिला की उपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज करवाया जाएगा।
10. नए कानून में 15 साल से कम और साठ साल से अधिक तथा दिव्यांगो और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन में पेश होने से छूट दी जाएगी। उन्हें पुलिस की मदद उनके निवास स्थान पर उपलब्ध करवाई जाएगी।