बिहार: नितीश कुमार कब तक रहेंगे भाजपा के साथ? भाकपा-माले का राज्यव्यापी आंदोलन
बिहार के राजनीतिक गलियारों को एक नया चुनावी शब्द मिला "दरवाजे खुले है". राज्य की सभी पार्टियां इस शब्द से खेल रही है. रविवार जदयू (जनता दल यूनाइटेड) के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज (उर्फ गोपाल मंडल) ने भी टिप्पणी करते हुए कहां कि राजनीति में दरवाजे हमेशा खुले रहते है, लेकिन नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बने रहने के लिए महागठबंधन में नहीं जाएंगे।
JDU विधायक ने Subkuz.com के पत्रकार से बात करते हुए कहां कि राजनीति में दरवाजे हमेशा खुले रहते है, लेकिन जरुरत पड़ने पर स्विचओवर गेम भी शुरू हो सकता है. जब विधायक से लालू प्रसाद यादव और बिहार के सीएम के रिश्ते के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहां कि ये सब 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद देखेंगे।
21 फरवरी से भाकपा करेगी राज्यव्यापी आंदोलन
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) की लोकसभा चुनाव को लेकर आयोजित की गई बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहां कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को तोड़ने की कोशिश की गई और हमारे विधायकों को राजनीतिक साजिश के तहत मुकदमों में फंसाने की साजिश की जा रही है. ऐसी स्थिति में बिहार की जनता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की तानाशाही के खिलाफ आंदोलन करेगी।
दीपंकर भट्टाचार्य ने बताया कि हमारी पार्टी के नेताओं को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाने, किसान आंदोलन पर दमन और कर्पूरी जी के नाम पर राजनीति करने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ भी गांव-गांव में आंदोलन चलाया जाएगा। उन्होंने कहां कि लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपा और जद (यू) हार सुनिश्चित किया आएगी।
बताया की इस बैठक में माले के राज्य सचिव कुणाल, वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, धीरन्द्र झा, मीना तिवारी, शशि यादव, केडी यादव, महबूब आलम, सत्यदेव राम सहित सभी जिला के सचिव भी शामिल हुए. तथा रविवार को राज्य कमेटी की बैठक में भाकपा की ओर से 21 से 27 फरवरी तक राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन अभियान चलाने का फैसला लिया गया।