कांग्रेस ने प्रियंका गांधी, रणदीप सुरजेवाला, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत का नाम जेपीसी के लिए फाइनल किया है। ये सभी सांसद कांग्रेस की ओर से जेपीसी में पक्ष रखने का जिम्मा संभालेंगे।
One Nation One Election JPC Members: एक देश-एक चुनाव को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजा गया है। लोकसभा के स्पीकर अब जेपीसी का गठन करेंगे। कांग्रेस ने अपनी तरफ से जेपीसी के लिए चार नाम फाइनल कर लिए हैं, जिनमें मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी, सुखदेव भगत और रणदीप सुरजेवाला शामिल हैं।
इन नामों को लोकसभा स्पीकर के पास भेजा जाएगा। जेपीसी राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों के समन्वय से गठित की जाती है और यह किसी भी मुद्दे या बिल की गहन समीक्षा करती है।
जेपीसी गठन की प्रक्रिया
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को मिलाकर किया जाता है। यह समिति किसी भी मुद्दे या बिल की पूरी समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार करती है, जिसे सरकार के पास भेजा जाता है। जेपीसी की भूमिका बिल के विभिन्न पहलुओं की गहनता से जांच करना है और उसके बाद रिपोर्ट तैयार करना है। इसके बाद यह रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की जाती है।
कांग्रेस के कोटे से चार नाम
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी, सुखदेव भगत और रणदीप सुरजेवाला का नाम जेपीसी के लिए फाइनल किया है। पार्टी इन चारों नामों को अपने कोटे से जेपीसी में भेजेगी।
मनीष तिवारी और रणदीप सुरजेवाला दोनों वकील हैं, जो कानूनी विशेषज्ञता और जटिल मुद्दों को समझने में सक्षम हैं। सुखदेव भगत की पहचान एक आदिवासी नेता के रूप में है, जबकि प्रियंका गांधी महिलाओं का नेतृत्व करेंगी।
अन्य दलों की भागीदारी
जेपीसी में कांग्रेस के इन चार नामों के अलावा, अन्य राजनीतिक दल भी अपने प्रतिनिधियों को भेजने की तैयारी में हैं। डीएमके की ओर से पी विल्सन और टी सेल्वागेथी को जेपीसी में शामिल किया जा सकता है। सपा से धर्मेंद्र यादव और टीएमसी से कल्याण बनर्जी और साकेत गोखले के नाम चर्चा में हैं। इन नेताओं की भूमिका वन नेशन-वन इलेक्शन पर अपनी पार्टी का पक्ष रखने की होगी।
जेपीसी में सदस्यता
जेपीसी में सदस्यता का निर्धारण लोकसभा के स्पीकर द्वारा किया जाता है। आमतौर पर इसमें राज्यसभा के सदस्य लोकसभा के सदस्यों के दो गुने होते हैं। जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार संशोधित बिल को सदन में पेश करती है। वन नेशन-वन इलेक्शन एक संवैधानिक संशोधन है, जो विशेष बहुमत की मांग करता है। इसके लिए सरकार जेपीसी के जरिए व्यापक सहमति बनाने की कोशिश कर रही है।