One Nation One Election: जेपीसी के पास है अब वन नेशन-वन इलेक्‍शन बिल, जानें 2025 में पारित होने पर एक साथ कब होंगे चुनाव?

One Nation One Election: जेपीसी के पास है अब वन नेशन-वन इलेक्‍शन बिल, जानें 2025 में पारित होने पर एक साथ कब होंगे चुनाव?
Last Updated: 18 दिसंबर 2024

केंद्र सरकार ने एक देश-एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। अगर विधेयक 2026 में पास होता है, तो चुनाव आयोग को 2029 तक की तैयारी करनी होगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसकी पूरी लागू करने में 2034 तक का समय लगेगा।

One Nation One Election: केंद्र सरकार ने एक देश-एक चुनाव से संबंधित संविधान का 129वां संशोधन विधेयक और एक अन्य विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। विपक्ष ने इस बिल को तानाशाही करार देते हुए जेपीसी में भेजने की मांग की। इस विधेयक के तहत एक देश-एक चुनाव पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें एक साथ लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनाव कराने की योजना है। विपक्ष ने इस कदम को तानाशाही की ओर इशारा करते हुए इसे लेकर अपनी चिंताओं को साझा किया है और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की है, ताकि इस पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा हो सके।

केंद्र सरकार ने जेपीसी में भेजने पर राजी

केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत जुटाने की चुनौती और विपक्ष की मांग के मद्देनजर दोनों विधेयकों को जेपीसी में भेजने का निर्णय लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही इस मुद्दे पर जेपीसी भेजने का संकेत दिया था। सरकार का मानना है कि जेपीसी के जरिए इस विधेयक पर सर्वसम्मति बनाना महत्वपूर्ण है, ताकि इसे बिना किसी विवाद के लागू किया जा सके।

मौजूदा सत्र में बिल पास नहीं होंगे

संसद का मौजूदा सत्र 20 दिसंबर तक है, ऐसे में ये दोनों विधेयक इस सत्र में पास नहीं होंगे। जेपीसी की मंजूरी मिलने के बाद अगर बिल बिना किसी परिवर्तन के पास हो जाते हैं तो इसे कब तक अमल में लाया जाएगा, इस पर संशोधन हो सकता है। यह संभावना है कि जेपीसी विधेयकों की समीक्षा करने में पूरी तरह से 2025 का समय लगेगा, जिसके बाद ये बिल 2026 में वापस संसद में जाएंगे। यदि विशेष बहुमत से पास होते हैं तो चुनाव आयोग को 2029 की तैयारी के लिए केवल दो साल मिलेंगे, जो एक देश-एक चुनाव की तैयारी के लिए पर्याप्त नहीं है।

कैसे होगा जेपीसी का गठन?

जेपीसी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। सदस्यता की संख्या संसद में पार्टियों की ताकत के अनुसार तय की जाएगी, जिसमें सबसे बड़ी पार्टी, भाजपा से अधिक सदस्य होंगे। जेपीसी का अध्यक्ष संभवतः भाजपा से ही होगा। इसमें प्रमुख राजनीतिक दलों से प्रतिनिधित्व किया जाएगा, ताकि सभी पक्षों की राय को समाहित किया जा सके। जेपीसी की भूमिका विधेयकों पर विचार करना, उनकी समीक्षा करना और रिपोर्ट तैयार करना होगी, जो आगे सदन में प्रस्तुत की जाएगी।

क्‍या करेगी जेपीसी?

जेपीसी को संविधान के तीन अनुच्छेदों में परिवर्तन और नए प्रावधान जोड़ने पर काम करना होगा। इसमें अनुच्छेद 82 में एक नया प्रावधान जोड़ा जाएगा, जो राष्ट्रपति द्वारा तय तारीख पर फैसले की बात करेगा। यह प्रावधान परिसीमन प्रक्रिया और जनगणना के बाद चुनावों के संचालन को स्पष्ट करेगा। जेपीसी को विधेयक के सभी पहलुओं की गहन जांच करनी होगी और इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी, ताकि इसे लागू करने से पहले सभी पक्षों की राय शामिल हो सके।

जेपीसी कब जारी करेगी रिपोर्ट?

जेपीसी को संविधान संशोधन और केंद्र शासित प्रदेश कानून के संशोधन विधेयकों को अंतिम रूप देने में लगभग पूरा 2025 लग सकता है। इसके बाद ये विधेयक 2026 में फिर से सदन में जाएंगे। यदि विशेष बहुमत से पारित होते हैं तो निर्वाचन आयोग के पास 2029 तक की तैयारी के लिए दो साल होंगे। एक देश-एक चुनाव के तहत सभी राज्यों और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए यह पर्याप्त समय नहीं है।

इसकी डेडलाइन संबंधित जानकारी

अभी तक विधेयक में किसी भी तय समय की स्पष्टता नहीं है। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने का अधिकार अपने पास रखा है। राष्ट्रपति की अधिसूचना का समय भी स्पष्ट नहीं किया गया है। इस बीच, चुनाव आयोग को एक देश-एक चुनाव के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए, जो आगामी वर्षों में हो सकता है।

क्या होगा विधेयक पास होने के बाद?

विधेयक के पास होने के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख राष्ट्रपति तय करेंगी। सभी विधानसभाओं का कार्यकाल पूरा माना जाएगा और फिर चुनाव एक साथ होंगे, जो 2034 में आयोजित किए जा सकेंगे। इसके साथ ही सभी राज्यों में चुनाव का समन्वय किया जाएगा। राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद विधेयक लागू किया जाएगा और चुनाव आयोग को कार्यकर्ताओं की व्यवस्था और ईवीएम की संख्या सुनिश्चित करनी होगी।

तैयारी में कितना लग सकता है समय?

अगर अभी तक की प्रक्रिया देखी जाए तो बुनियादी जरूरतों के हिसाब से 2034 की टाइमलाइन मेल खाती है। चुनाव आयोग को एक देश एक चुनाव के लिए कम से कम 46 लाख ईवीएम चाहिए। वर्तमान में आयोग के पास 25 लाख मशीनें हैं। दस साल में 15 लाख मशीनों की उम्र पूरी हो जाएगी, जिससे मशीनों की तैयारी में भी 10 साल का वक्त लग सकता है। इस कारण 2034 की समयसीमा सबसे संभावित मानी जा रही है।

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