पंजाब: सरकारी स्कूलों के 'मिड डे मील' में हुआ बदलाव, विद्यार्थियों को खाने के साथ मिलेगा यह फल
पंजाब के सरकारी स्कूलों में 'मिड डे मील' में जल्द बदलाव देखने को मिलेगा। विद्यार्थियों को खाने के साथ किन्नू फल भी मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान के आदेशों पर शिक्षा सचिव केके यादव ने बागबानी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इसकी संभावनाओं का पता लगाने को कहा है. बताया है कि पंजाब में इस समय 15.93 लाख बच्चे मिड डे मील के लिए पंजीकृत हैं।
मिड डे मील में मिलेगा किन्नू
Subkuz.com के पत्रकारों को बातचीत के दौरान पंजाब के लगों ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से सर्दियों की छुट्टियों के बाद मिड डे मील में बच्चों को हर सोमवार को एक केला देने का पत्र जारी किया गया था. इस बात पर पंजाब के लोगों ने मांग उठाई कि जब हमारे पास अपनी पैदावार वाला किन्नू फल है और इसकी ज्यादा पैदावार होने के कारण किसानों को उसका रेट भी नहीं मिल रहा है तो ऐसे में महाराष्ट्र से लाकर केला यहां क्यों दिया जा रहा हैं।
गाजर का जूस और किन्नू का विकल्प में
जानकारी के अनुसार पंजाब के विधायक संदीप जाखड़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को मिड डे मील के संबंध में पत्र लिखकर सुझाव दिया कि गाजर का जूस और किन्नू फल विकल्प के तौर पर दिए जा सकते है क्योकि ये दोनों ही स्थानीय पैदावार है. बताया कि ऐसा करने से किसानों को लाभ होगा। फिरोजपुर जिले के अन्य विधायक गोल्डी कंबोज और नरिंदरपाल सिंह ने किन्नू देने पर सहमति जताई है और मुख्यमंत्री से गुजारिश की कि किन्नू को मिड डे मील में शामिल किया जाए।
पंजाब में 15.83 लाख बच्चे मिड डे मील के लिए पंजीकृत है
बताया गया है कि पंजाब में इस समय 15.93 लाख बच्चे मिड डे मील के लिए नामांकित है. केके यादव ने बताया कि पंजाब एग्रो से यह फल देने की संभावनाओं पर विचार किया है, जिसमें पता चला कि एग्रो किसानों से लेकर पंद्रह रुपये प्रति किलो किन्नू मुहैया करवा सकता है. एक किलो में छह किन्नू आते है. ऐसे में हर बच्चे को दो किन्नू मिलेंगे। इस हिसाब से बच्चों को प्रति सप्ताह जरूरत दस हजार क्विंटल किन्नू की जरूरत होगी और एक महीने में चालीस हजार क्विंटल किन्नू चाहिए होगा।
जानकारी के अनुसार कृषि विभाग के पूर्व कमिश्नर डा. बलविंदर सिंह सिद्धू बताया कि विटामिन सी से भरपूर किन्नू को खाने से बच्चे खांसी, जुकाम, बुखार से भी बचाया जा सकता है. उन्होंने कहां कि पंजाब सरकार के पास यह अच्छा मौका है कि इस योजना को पंजाब के साथ-साथ दिल्ली के स्कूलों में भी लागू करवा दिया जाए।