प्रसिद्ध ओड़िया कवि और पूर्व नौकरशाह रमाकांत रथ का 90 वर्ष की उम्र में भुवनेश्वर में निधन। पद्म भूषण सम्मानित रथ के निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और ओडिशा सीएम ने शोक जताया।
Ramakant Rath Passed Away: प्रसिद्ध ओड़िया कवि और पूर्व नौकरशाह रमाकांत रथ का रविवार को भुवनेश्वर के खारवेल नगर स्थित आवास पर निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। उनके परिवार ने इस खबर की पुष्टि की। साहित्य और प्रशासन में अपने योगदान के लिए पहचाने जाने वाले रथ को पद्म भूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रमाकांत रथ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा,
"प्रख्यात कवि श्री रमाकांत रथ जी के निधन से मैं अत्यंत दुखी हूं। वे भारतीय साहित्य जगत की प्रमुख विभूति थे और उनके योगदान ने ओड़िया साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करती हूं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रथ के निधन पर गहरा दुख प्रकट किया। पीएमओ के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट किया गया,
"श्री रमाकांत रथ जी ने न केवल एक प्रभावी प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उनकी कविताएँ भी समाज के हर वर्ग में लोकप्रिय थीं। उनके निधन से गहरी क्षति हुई है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।"
ओडिशा के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने रमाकांत रथ के निधन को राज्य और देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा,
"रमाकांत रथ को उनके प्रशासनिक और साहित्यिक योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वे ओड़िया साहित्य के गौरव थे।"
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि कवि का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
ओडिशा के कई नेताओं और प्रतिष्ठित हस्तियों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके घर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
सोमवार को पुरी में होगा अंतिम संस्कार
रमाकांत रथ के बेटे के विदेश से लौटने के बाद सोमवार को पुरी के स्वर्गद्वार में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनकी छोटी बेटी ने बताया कि पारिवारिक सदस्यों की मौजूदगी में पूरे राजकीय सम्मान के साथ यह संस्कार संपन्न होगा।
रमाकांत रथ का जीवन और प्रशासनिक सफर
रथ का जन्म 13 दिसंबर 1934 को कटक में हुआ था। उन्होंने रावेनशॉ कॉलेज (अब विश्वविद्यालय) से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया और 1957 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हुए।
उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और 1992 में ओडिशा के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए।
रमाकांत रथ की प्रमुख रचनाएं
रथ की कविताएं गहरी संवेदनशीलता और भावनात्मक गहराई के लिए जानी जाती हैं। उनके प्रमुख कविता संग्रहों में शामिल हैं:
केतु दिनारा (1962)
अनेका कोठारी (1967)
संदिग्धा मृगया (1971)
सप्तम ऋतु (1977)
सचित्रा अंधारा (1982)
श्री राधा (1985)
श्रेष्ठ कविता (1992)
उनकी कविताओं का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है।
सम्मान और पुरस्कार
रमाकांत रथ को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें शामिल हैं:
1977 – साहित्य अकादमी पुरस्कार
1984 – सरला पुरस्कार
1990 – बिशुवा सम्मान
2006 – पद्म भूषण
2009 – साहित्य अकादमी फेलोशिप
इसके अलावा, उन्होंने 1993 से 1998 तक साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष और 1998 से 2003 तक अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।