प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन नए कानूनों की समीक्षा समारोह में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ पहुंच गए हैं। यह समारोह पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित हो रहा है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद हैं। पीएम मोदी के आगमन को लेकर चंडीगढ़ में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई हैं।
चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ पहुंच गए हैं और सेक्टर-12 स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) में आयोजित समारोह में तीन नए कानूनों की समीक्षा कर रहे हैं। पीएम मोदी का संबोधन शुरू हो चुका है, जिसमें उन्होंने नए कानूनों को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि ये कानून देश के नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं और उनके जीवन में सुधार लाने के लिए बनाए गए हैं। पीएम मोदी ने इन कानूनों को लागू करने के पीछे की सोच और उद्देश्य को स्पष्ट किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के बाद से भारतीय न्याय प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि गहन विचार-विमर्श के बाद भारतीय न्याय संहिता का निर्माण किया गया है, ताकि न्याय प्रणाली को और प्रभावी और नागरिकों के लिए सुलभ बनाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने बताया कि प्रत्येक कानून को व्यावहारिक दृष्टिकोण से जांचा गया है और इसे भविष्य के मापदंडों के आधार पर परिष्कृत किया गया है। इस प्रक्रिया में सर्वोच्च न्यायालय, माननीय न्यायाधीशों और देश के सभी उच्च न्यायालयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए इन सभी संस्थाओं का विशेष आभार व्यक्त किया और उनके योगदान को सराहा।
'अंग्रेजी कानून का मकसद भारतीयों को गुलाम रखना' - पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संघर्ष ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख देने वाला था, जिसके बाद 1860 में भारतीय दंड संहिता (IPC) को लागू किया गया। उन्होंने बताया कि इसके कुछ साल बाद भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) का पहला ढांचा अस्तित्व में आया, जिसका उद्देश्य भारतीयों को सजा देना और उन्हें गुलाम बनाकर रखना था।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण था कि आज़ादी के बाद भी हमारे कानूनों में वही मानसिकता बनी रही, जो ब्रिटिश शासन के समय थी। वह मानसिकता भारतीय नागरिकों को गुलाम मानकर उनके खिलाफ बनाई गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि 1947 में, जब भारत को सदियों की गुलामी के बाद स्वतंत्रता मिली, तो देशवासियों ने उम्मीद जताई थी कि अंग्रेजी शासन और उनके बनाए कानूनों से मुक्ति मिलेगी।
यह कानून उस समय बनाए गए थे जब ब्रिटिश साम्राज्य भारत में अपने शोषण को और बढ़ाना चाहता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी की सुबह के साथ, देशवासियों ने यह सपना देखा था कि अंग्रेजी कानूनों के साथ-साथ अंग्रेजों के अत्याचार और शोषण के तरीकों से भी मुक्ति मिलेगी।
पुलिस ने काल्पनिक हत्या का क्राइम सीन किया तैयार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान भारतीय न्याय संहिता की प्रक्रिया और उसकी व्यापकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह संहिता अपने आप में एक समग्र दस्तावेज है, जिसे तैयार करने में देश के मुख्य न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
चंडीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पुलिस ने प्रधानमंत्री के सामने एक काल्पनिक हत्या का क्राइम सीन तैयार किया, ताकि न्याय की प्रक्रिया को प्रदर्शित किया जा सके। इस दौरान पुलिस ने प्रधानमंत्री को यह जानकारी दी कि अपराध स्थल पर ही वीडियोग्राफी की जाएगी, ताकि साक्ष्यों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो सके। इसके अलावा, पीड़ित और गवाहों के बयान भी वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से दर्ज किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस नई प्रणाली के बारे में बताया कि महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों को सूचना मिलने के दो महीने के भीतर निपटाना अनिवार्य होगा। कार्यक्रम में यह भी दिखाया गया कि कैसे जांच से लेकर न्याय तक की प्रक्रियाएं प्रभावी रूप से काम करती हैं। यह पहली बार था जब कानून के कार्यान्वयन को जनता के सामने प्रदर्शित किया गया, जिसमें आपराधिक मामलों में न्याय की प्रक्रिया पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।