कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा एक बार फिर अपने बयान और कृत्य को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में प्रियंका गांधी संसद में एक बैग लेकर पहुंची, जिस पर "Palestine" लिखा हुआ था। यह बैग प्रियंका के फिलिस्तीन के प्रति समर्थन को स्पष्ट रूप से दर्शा रहा था। प्रियंका का यह कदम न केवल राजनीति में हलचल मचाने वाला साबित हुआ, बल्कि इसके चलते बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक नया सियासी विवाद भी खड़ा हो गया है।
प्रियंका गांधी ने 'फिलिस्तीन' बैग लेकर दिया समर्थन
प्रियंका गांधी वाड्रा का यह कदम फिलिस्तीन के प्रति उनके समर्थन को स्पष्ट रूप से जाहिर करता है। बैग पर "Palestine" लिखे होने के कारण यह चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस का यह समर्थन फिलिस्तीन के प्रति पहले भी देखा गया है और यह एक बार फिर कांग्रेस की नीति और विचारधारा का हिस्सा बनकर सामने आया है।
प्रियंका गांधी के इस कदम को लेकर सियासी बवाल शुरू हो गया है। बीजेपी के नेताओं ने प्रियंका गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वह मुस्लिम समुदाय को तुष्ट करने के लिए ऐसा कदम उठा रही हैं। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा, "प्रियंका गांधी ने जानबूझकर यह बैग संसद में लाकर दिखाया है ताकि वह मुस्लिम वोट बैंक को खुश कर सकें।"
प्रियंका गांधी और फिलिस्तीन का समर्थन: एक इतिहास
प्रियंका गांधी का फिलिस्तीन के प्रति समर्थन कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार प्रियंका ने इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर की है। हाल ही में फिलिस्तीन के राजदूत अबेद एलबाज़ेग अबू जाजेर से मुलाकात के दौरान प्रियंका ने फिलिस्तीन के लोगों के संघर्ष को समर्थन दिया था। राजदूत ने उन्हें वायनाड लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई दी थी, जिसे प्रियंका ने अपनी एक तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर साझा किया था।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी के नेताओं का कहना है कि प्रियंका गांधी का यह कदम मुस्लिम समुदाय को आकर्षित करने के लिए लिया गया है। एसपी सिंह बघेल ने कहा कि यह बैग दिखाकर प्रियंका गांधी मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश कर रही हैं। बीजेपी ने प्रियंका के इस कदम को "राजनीतिक स्टंट" करार दिया और आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रही हैं।
सियासी नफा-नुकसान
प्रियंका गांधी का 'फिलिस्तीन' बैग लेकर संसद पहुंचना एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील कदम है। यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत विचारों को दर्शाता है, बल्कि कांग्रेस पार्टी के रुख को भी स्पष्ट करता है। वहीं बीजेपी इसका विरोध कर रही है और इसे एक सियासी हथकंडा मान रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर सियासी बवाल कितने दिनों तक चलता है और इसका प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी पर क्या असर पड़ता है।