दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस द्वारा संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एक अप्रत्याशित घटना घटी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जो इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे, अचानक माइक बंद होने से रोक दिए गए। हालांकि, जब माइक ठीक हुआ, तो राहुल गांधी ने खुद को मजबूती से प्रस्तुत करते हुए कहा, "चाहे कितने भी माइक बंद कर लो, मैं बोलता रहूंगा।"
राहुल गांधी का माइक बंद होने के बाद गुस्सा और बयान
राहुल गांधी के माइक बंद होते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हंगामा मच गया। यह घटना पार्टी के भीतर और बाहर चर्चा का विषय बन गई। राहुल ने तुरंत अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि अगर कोई दलितों और पिछड़ों के मुद्दे पर बात करता है तो उसकी आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा, "मुझे यह देखकर खुशी है कि माइक बंद करने से मेरा मनोबल नहीं टूटा। चाहे कितने भी माइक बंद कर दो, मैं बोलता रहूंगा।"
जातीय जनगणना पर राहुल गांधी का जोरदार बयान
राहुल गांधी ने इस दौरान जातीय जनगणना की आवश्यकता को लेकर अपना पुराना रुख एक बार फिर स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत में देश के शीर्ष उद्योगपतियों में कोई दलित, पिछड़ा या आदिवासी नहीं है। यह स्थिति समाज के समतल होने की दिशा में एक बड़ा रोड़ा है। राहुल ने अपने भाषण में जातीय जनगणना की तरफ एक कदम और बढ़ाने की बात की। उन्होंने बताया कि हाल ही में तेलंगाना राज्य में जातीय जनगणना के लिए काम शुरू किया गया है, जिसमें स्थानीय दलितों और पिछड़ों ने अपने हिसाब से सवाल तय किए हैं।
राहुल ने आगे कहा, "तेलंगाना में हम अपनी जातीय जनगणना प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं, जिसमें लोगों ने खुद अपनी जरूरतों के मुताबिक फॉर्मेट तय किया है। यह एक ऐतिहासिक कदम है, और जहां कहीं भी हमारी सरकार बनेगी, हम इसी पैटर्न पर जातीय जनगणना करेंगे।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया संविधान पढ़ने की सलाह
राहुल गांधी ने इस कार्यक्रम में संविधान की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान का मार्गदर्शन सत्य और अहिंसा की ओर है और यह किसी भी प्रकार की हिंसा को स्वीकार नहीं करता। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह संविधान की किताब नहीं पढ़ते हैं। राहुल ने कहा, "संविधान सिर्फ एक किताब नहीं है। यह हिंदुस्तान की हजारों साल की सोच है, जिसमें महात्मा गांधी, डॉ. अंबेडकर, भगवान बुद्ध और फुले जैसे महान नेताओं की आवाज है, लेकिन सावरकर जी की आवाज नहीं है।"
समानता और न्याय का संघर्ष
राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, जो कांग्रेस पार्टी के लिए एक राजनीतिक दिशा भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई सरकार आने वाली है, तो वह हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के हक के लिए काम करेगी। उनका कहना था कि समाज में जहां भी पिछड़ा वर्ग है, उनकी हिस्सेदारी ज्यादा होनी चाहिए, न कि कम।
राहुल गांधी का यह बयान उनके राजनीतिक संघर्ष की दिशा को स्पष्ट करता है, जिसमें वह समाज में समानता और सामाजिक न्याय को प्रमुख रखते हैं। उनके अनुसार, भारत का संविधान उन सभी आवाजों को समाहित करता है, जो समाज के हर वर्ग के हक की बात करती हैं, और उसे नकारना किसी भी सरकार के लिए मुश्किल होगा।
राहुल गांधी का संविधान दिवस पर गंभीर संदेश
राहुल गांधी ने संविधान दिवस के मौके पर एक स्पष्ट और जोरदार संदेश दिया। उन्होंने समाज में समानता, न्याय और जातीय जनगणना की आवश्यकता को उठाया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके तीखे शब्दों से यह स्पष्ट होता है कि वह भारतीय संविधान को लेकर अपनी पार्टी का रुख पहले की तरह मजबूती से बनाए रखेंगे।