Bappi Lahiri: भारतीय संगीत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ने वाले कलाकार, जिन्होंने डिस्को को दी नई पहचान

Bappi Lahiri: भारतीय संगीत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ने वाले कलाकार, जिन्होंने डिस्को को दी नई पहचान
Last Updated: 27 नवंबर 2024

बप्पी लहरी, जिनका असली नाम अलोकेश लहरी था, भारतीय संगीत उद्योग के एक ऐसे दिग्गज कलाकार थे, जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक में बॉलीवुड में डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाया। उनका जन्म 27 नवंबर 1952 को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था। बप्पी लहरी ने अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की थी और वह भारतीय संगीत के एक अहम हिस्सा बने।

बचपन और संगीत की शुरुआत

बप्पी लहरी का संगीत से गहरा रिश्ता बचपन से ही था। उनके परिवार में कई संगीतज्ञ थे, और यही कारण था कि उन्हें संगीत में रुचि जागी। बप्पी लहरी की पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में हुई थी, लेकिन उनका संगीत में रुझान उन्हें मुंबई ले आया। मुंबई में आने के बाद उन्होंने अपना करियर शुरू किया और धीरे-धीरे एक प्रसिद्ध संगीतकार के रूप में स्थापित हुए।

डिस्को किंग के नाम से मशहूर

बप्पी लहरी को भारतीय संगीत उद्योग में "डिस्को किंग" के नाम से जाना जाता है। 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में डिस्को संगीत का जादू चलाया। उनके द्वारा रचित गीतों ने न केवल फिल्मों को हिट किया, बल्कि दर्शकों के बीच एक नई ऊर्जा का संचार भी किया। उनकी म्यूज़िक स्टाइल, जो मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक बीट्स और पश्चिमी डिस्को रिदम्स से प्रभावित थी, ने भारतीय संगीत को एक नया रूप दिया।

उनके द्वारा रचित हिट गाने जैसे "रमोला की रानी" (लव स्टोरी), "तेरा बिन बिन दिन" (शराबी), "आई एम ए डिस्को डांसर" (डिस्को डांसर) और "याद आ रहा है" (शराबी) आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं। बप्पी लहरी के इन गानों ने उन्हें एक वैश्विक पहचान दिलाई और बॉलीवुड में एक नया संगीत ट्रेंड स्थापित किया।

संगीत के अलावा राजनीति में भी किया योगदान

संगीत के क्षेत्र में बप्पी लहरी का योगदान अविस्मरणीय था, लेकिन इसके साथ ही वह राजनीति में भी सक्रिय रहे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़कर पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। हालांकि उनका राजनीतिक करियर ज्यादा लंबा नहीं चला, लेकिन यह दिखाता है कि वह सिर्फ एक संगीतकार ही नहीं, बल्कि एक जागरूक नागरिक भी थे।

अंतिम समय और निधन

बप्पी लहरी का जीवन संगीत और रचनात्मकता से भरा था, लेकिन उनका निधन 15 फरवरी 2022 को हुआ। वह 69 वर्ष के थे और उनकी मृत्यु ओब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (obstructive sleep apnea) के कारण हुई थी। उनके निधन से भारतीय संगीत उद्योग को अपूरणीय क्षति हुई है। उनकी धुनों और गीतों का जादू हमेशा उनके प्रशंसकों के दिलों में जीवित रहेगा।

बप्पी लहरी का संगीत मे योगदान

बप्पी लहरी ने संगीत की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनका संगीत न केवल बॉलीवुड के गानों का हिस्सा बना, बल्कि वह भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे बड़े संगीतकारों में से एक माने गए। बप्पी लहरी ने संगीत और पॉप कल्चर में अपने योगदान के साथ भारतीय सिनेमा की धारा को एक नया मोड़ दिया। उनकी धुनें और संगीत हमेशा संगीतप्रेमियों के बीच जीवित रहेंगे और वह हमेशा भारतीय संगीत के इतिहास में अपनी अहम जगह बनाए रखेंगे।

उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और वह संगीत की दुनिया में एक अटूट विरासत छोड़ गए हैं।

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