दिल्ली: सप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने कहां गलती हो गई... क्या है मामला

दिल्ली: सप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने कहां गलती हो गई... क्या है मामला
Last Updated: 23 मार्च 2024

दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल को मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त की पीठ ने उनके खिलाफ चल रहे मानहानि मामले को आगे नहीं बढ़ाने का आदेश दिया है. सीएम केजरीवाल ने कोर्ट में बताया कि उस वीडियो को रीपोस्ट करना उनकी बड़ी 'गलती' थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहां कि गलती को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है. अगर उन्हें पता होता कि इसके ये परिणाम होंगे तो वो ऐसा कभी नहीं करते।

कोर्ट में ऐसा क्या हुआ?

Subkuz.com के वरिष्ठ पत्रकार को प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ कोर्ट में चल रहा मामला मई 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी के एक आपत्तिजनक वीडियो को केजरीवाल के द्वारा रीट्वीट करने से संबंधित है. सुप्रीम कोर्ट में सीएम केजरीवाल की पैरवी करने वाले सिंघवी ने निचली अदालत के समक्ष स्थगन का अनुरोध करते हुए कहां कि वे सीएम पर तेजी से मुकदमा चला रहे है और इसे आगे बढ़ा रहे है. हम ट्रायल कोर्ट के सामने स्थगन का अनुरोध करेंगे।

जानकारी के अनुसार न्यायाधीश खन्ना ने बताया कि सीएम केजरीवाल के पद का समान करते हुए उन्हें फिलहाल अदालत में पेश होने की जरूरत नहीं है. उसके बाद न्यायमूर्ति पीठ ने मामले में शिकायतकर्ता से निर्देश लेने को कहां कि केजरीवाल द्वारा गलती स्वीकार करने के बाद क्या मामले को बंद किया जा सकता है. शिकायतकर्ता के वकील ने कहां कि वह इस बात पर अपने मुवक्किल से निर्देश लेंगे। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 मार्च तक बढ़ा दी और कहां कि इस मामले को ट्रायल कोर्ट में नहीं उठाया जाएगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहां

जानकारी के अनुसार 5 फरवरी 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले के दौरान कहां कि झूठ के सहारे किसी को बदनाम करने की इस विषय सामग्री को रीपोस्ट करना मानहानि कानून के दायरे के अंतर्गत आता है. हाईकोर्ट ने कहां कि बिना छानबीन (जांच पड़ताल) के किसी विषय सामग्री को रीट्वीट के लिए व्यक्ति को जिम्मेदारी का अहसास कराना जरुरी है. बिना जांच और वैधानिक चेतावनी के अपमानजनक विषय सामग्री को रीट्वीट करना दंड, दीवानगी और  अपराध के दायरे में आता है. कोर्ट ने कहां कि इंटरनेट सोशल मीडिया की दुनिया में सूचनाएं रोशनी की गति की तरह फैलती जाती है. उसका दायरा वैश्विक (बहुत बड़ा) है. इसलिए डिजिटल युग में प्रकाशन की सीमाएं बढ़ गई है उसी तरह मानहानि के प्रभाव का दायरा भी बढ़ा दिया गया है।

Leave a comment